मध्य प्रदेश में बस हादसा।
हादसे की सूचना मिलते ही ग्रामीण एवं आसपास के लोग सबसे पहले पहुंचे। राहत और बचाव का कार्य आरंभ हुआ। पुलिस व प्रशासन का अमला भी पहुंचा। सबने मिलकर बसों में फंसे लोगों को निकाला। बेसुध और बुरी तरह जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाया।
लोगों ने लगाए आरोपः घटना के बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हादसा टनल के मोड़ पर बसों को रोकने के कारण हुआ। लोगों ने कहा, ‘थोड़ी सी समझदारी दिखाते हुए खाना-पानी देने के लिए बसों को टनल से काफी पहले अथवा टनल के बाद सुरक्षित स्थान पर रोक लिया जाता तो भीषण हादसा नहीं होता। निर्दोष लोग नहीं मारे जाते। घायल नहीं होते। हादसे के बाद निकट के अस्पतालों में उपचार की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं होने के आरोप दुर्घटना में घायल लोगों के परिजनों ने लगाए। यह भी आरोप लगाया कि कई लोग समुचित उपचार के अभाव में मारे गये हैं। उधर कांग्रेस ने इस आरोप के साथ सरकार को घेरा कि सतना में आयोजित कोल जनजाति महाकुंभ के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए विंध्य क्षेत्र के सभी जिलों को 300-300 बसें भरकर लोगों को लाने का टारगेट दिया गया था। शाम साढ़े 5 बजे कार्यक्रम खत्म हुआ, जिसके बाद सभी बसें सतना से रामपुर बघेलान और रीवा के रास्ते मोहनिया टनल होकर सीधी-सिंगरोली के लिए जा रही थीं। टनल से पहले एक असुरक्षित और दुर्घटना संभावित स्थान पर तीन बसों को रोका गया, जिससे हादसा हो गया।