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ओबीसी आरक्षण पर रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे: शिवराज चौहान

सुप्रीम कोर्ट से पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका लगने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उनकी सरकार रिव्यू पिटीशन दायर करेगी।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से कहा, ‘अभी हमने निर्णय का विस्तृत अध्ययन नहीं किया है। चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही हों, इसके लिए रिव्यू पिटीशन दायरे करेंगे। कोर्ट से अनुरोध किया जायेगा कि स्थानीय निकायों के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही हों।’

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मुख्यमंत्री की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से जुड़ी शिवराज सरकार की रिपोर्ट को अधूरा क़रार देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट आदेश दिया है कि वह अभी सिर्फ़ एससी-एसटी आरक्षण के साथ चुनाव कराये। अगले दो सप्ताह में चुनावों की अधिसूचना जारी कर देने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फ़ैसला जया ठाकुर और सैयद जाफर की याचिका पर सुनाया है। जाफर के अनुसार कोर्ट ने आदेश दिया है कि-‘राज्य निर्वाचन आयोग 15 दिन के अंदर स्थानीय सरकारों की चुनाव की अधिसूचना जारी करे।’ बता दें कि मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव लंबे समय से लंबित हैं। पहले कोरोना के चलते चुनाव टलते रहे और बाद में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मसले पर राजनीति गहराने से चुनाव उलझ गये।

दरअसल, साल 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। फ़ैसला लागू होने के पहले कमलनाथ की सरकार चली गई थी।

शिवराज सरकार सत्ता में आने के बाद पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया आरंभ हुई थी। अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार की बदली हुई राय पर नाइत्तेफ़ाकी जताते हुए कोर्ट में याचिका लगा दी गई थी। हाईकोर्ट से फैसला पक्ष में नहीं आने के बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए थे। इसी वजह से चुनाव टल गए थे।

मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने बीती सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में आयोग ने ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की हुई है।

कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को अधूरा माना है। बता दें कि पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था, ‘प्रदेश सरकार ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट दे। लेकिन शिवराज सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट नहीं करा सकी थी।’

सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला 10 मई तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने आज फ़ैसला देते हुए साफ़ कहा, ‘ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के लिए और समय नहीं दिया जा सकता। बिना ओबीसी आरक्षण के ही स्थानीय सरकारों के चुनाव कराए जायें।’

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कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी वर्ग को चुनाव में आरक्षण नहीं मिल पायेगा। फिलहाल 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग और 16 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों को आरक्षण देते हुए चुनाव होंगे।

आरक्षण मुद्दे पर सियासत हुई तेज

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आते ही प्रदेश में इस मसले पर सियासत और तेज हो गई है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया है। अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेता यादव ने कहा है, ‘शिवराज सरकार और बीजेपी ओबीसी वर्ग को केवल वोट बैंक की तरह उपयोग करती है। पिछले 18 सालों में ज्यादातर समय बीजेपी ने राज किया है, लेकिन प्रदेश के ओबीसी वर्ग का भला नहीं किया। आरक्षण में हीला-हवाली करती रही।’

यादव ने कहा, ‘हमारी सरकार आयी थी तो हमने 27 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया। हमारी सरकार के जाते ही भाजपा ने सत्ता में आकर फिर इस विषय पर राजनीति आरंभ कर दी।’ उन्होंने कहा, ‘राज्य में 56 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है, शिवराज सरकार न मालूम कहाँ से आँकड़े बनाकर इसे 48 बताती रही। अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करने का दावा किया, लेकिन आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया को ही इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनसे बात नहीं की गई। कांग्रेस को विश्वास में लेना सरकार ने उचित नहीं समझा।’

अरुण यादव ने आगे कहा, ‘शिवराज सरकार और बीजेपी की नीयत ठीक नहीं है। ओबीसी को लेकर आरएसएस और मोहन भागवत का एजेंडा मध्य प्रदेश में लागू करने की सरकार और बीजेपी की इच्छा है, यह हम होने नहीं देंगे।’

एक सवाल के जवाब में यादव ने कहा, ‘ओबीसी वर्ग को आरक्षण के बिना चुनाव हम नहीं चाहते हैं।’

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संजीव श्रीवास्तव
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