याद कीजिये जब देश में कोरोना ने पहली दस्तक दी, इसका खौफ कितना भयावह था। इस अबूझ महामारी का चिकित्सा वैज्ञानिकों के पास कोई अचूक इलाज नहीं था। अस्पताल पहुंचने से पहले लोग दम तोड़ रहे थे। हर तरफ अफरातफरी मची थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आने तक वैक्सीन की खोज कर ली गई। भारत सरकार की ओर से मुफ्त में दिया जाने वाला यह टीका नागरिकों को आसानी से सुलभ हो सके इसके लिए सभी जिलों के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में सरकारी टीकाकरण केन्द्र खोले गये थे। इन केन्द्रों पर मानव संसाधन, लाजिस्टिक प्रबंधन, कोल्डचेन ऐन्ड वैक्सीन डिस्ट्रिब्यूशन, प्रचार प्रसार आदि के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से राज्य के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं सवास्थ्य अधिकारी को औसतन दो से तीन करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया था। ताकि टीकाकरण केन्द्रों पर तैनात कर्मियों , टीके की पहली डोज लेने वाले पुरुषों एवं महिलाओं को किसी तरह की असुविधा न हो।
RTI: एमपी में कोविड टीकाकरण प्रबंधन में बड़ा घोटाला
- मध्य प्रदेश
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- 7 Apr, 2024


कोरोना महामारी के भयावह काल में जब लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए सरकारी टीकाकरण केन्द्रों पर लम्बी- लम्बी कतारें लगाये अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, राज्य का स्वास्थ्य महकमा इसके प्रबंधन के लिए आवंटित करोड़ों की धनराशि ठिकाने लगाने में जुटा था। कोविड -19 टीकाकरण अभियान के लगभग चार साल बाद यह सनसनीखेज खुलासा एक आरटीआई से हुआ है।


























