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बाल ठाकरे की विरासत पर दोनों खेमों का दावा, स्थापना दिवस पर ताकत दिखाई!

असली शिवसेना होने की लड़ाई लड़ रहे एकनाथ शिंदे खेमा और बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे का खेमा, दोनों बाला साहेब ठाकरे की विरासत पर दावा कर रहे हैं। दिवंगत बालासाहेब ठाकरे ने 1966 में जिस पार्टी की स्थापना की थी, उसका आज स्थापना दिवस है। दोनों खेमे स्थापना दिवस पर बालासाहेब की विरासत पर दावा कर रहे हैं और ताक़त का प्रदर्शन कर रहे हैं। 

पिछले साल शिवसेना तब तो धड़े में बँट गई थी जब कुछ विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे ने विद्रोह कर दिया था। उन्होंने बीजेपी की मदद से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाडी सरकार को गिरा दिया था। बाद में शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। तब से ही दोनों खेमा असली शिवसेना होने का दावा करते रहे हैं। 

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लेकिन जब चुनाव आयोग में यह मामला गया तो इसने फ़ैसला बीजेपी के सहयोगी शिंदे खेमे के पक्ष में दिया। चुनाव आयोग ने कहा था कि शिवसेना और इसके चुनाव चिह्न पर शिंदे खेमे का अधिकार होगा। उद्धव ठाकरे खेमे को नया नाम शिवसेना यूबीटी मिला और पार्टी का नया चिह्न 'मशाल' मिला। 

चुनाव आयोग के इस फ़ैसले के बाद भी बाला साहेब ठाकरे की विरासत पर दोनों खेमे अपना अपना अधिकार जताते रहे हैं। उनकी विरासत पर हक होने का दावा उद्धव ठाकरे दो कारणों से जताते रहे हैं। एक तो वह बाला साहेब ठाकरे के बेटे हैं और दूसरा यह कि शिंदे खेमे ने 'बगावत' की थी। 

उसी विरासत की लड़ाई को वे जनता के सामने जीतना चाहते हैं। यही वजह है कि शिवसेना के स्थापना दिवस पर दोनों खेमों ने आज कार्यक्रम कर ताक़त का प्रदर्शन किया। सीएम शिंदे की सेना जहां गोरेगांव में नेस्को प्रदर्शनी केंद्र में 57वें सेना स्थापना दिवस का आयोजन कर रही है, वहीं उद्धव के नेतृत्व वाली सेना सायन में शनमुखानंद हॉल में अपना समारोह आयोजित कर रही है। 
अलग-अलग कार्यक्रमों से पहले शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने दोहराया कि उद्धव के नेतृत्व वाला समूह 'असली शिवसेना' है, जबकि अन्य कार्यक्रम 'देशद्रोहियों' द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

राउत का मुकाबला सीएम शिंदे के बेटे और शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने किया। उन्होंने कहा, 'पूरे राज्य के पार्टी कार्यकर्ता उस कार्यक्रम के लिए इकट्ठा होंगे जिसकी मेजबानी हम असली शिवसेना के रूप में कर रहे हैं जो बाल ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ा रही है।'

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उद्धव और शिंदे के बीच राजनीतिक वर्चस्व और ताकत दिखाने की इस लड़ाई में मुंबई की सड़कों पर एक पोस्टर युद्ध चला। इसमें दोनों पक्षों ने खुद को बाल ठाकरे और उनकी विचारधारा के असली उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने की कोशिश की। दोनों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। शिंदे सेना अपने 'धनुष और तीर' पार्टी के प्रतीक को प्रमुखता से प्रदर्शित कर रही है, वहीं उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने अपने होर्डिंग्स पर 'मशाल' को लगाया है।

शिंदे सेना द्वारा मुंबई की सड़कों पर लगाए गए होर्डिंग्स में बाल ठाकरे, शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद दीघे, छत्रपति शिवाजी और महाराष्ट्र के नक्शे के साथ मुख्यमंत्री की तस्वीर है। 

इसके विपरीत, शिवसेना (यूबीटी) के पोस्टर में बाल ठाकरे और उद्धव और उनके बेटे आदित्य की तस्वीरें हैं। शिवसेना (यूबीटी) के पोस्टर उद्धव के गुट को बालासाहेब के 'वफादार' और शिंदे गुट को 'देशद्रोही' के रूप में दर्शाते हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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