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गठबंधन के ख़िलाफ़ शिवसेना, भाजपा में जगह-जगह हो रहे हैं विद्रोह

साढ़े चार साल तक एक दूसरे के खिलाफ खुलकर आरोप -प्रत्यारोप करने वाली भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के लोकसभा चुनाव से पूर्व  शीर्ष स्तर पर किये गए गठबंधन का ज़मीनी स्तर पर विरोध अब सामने आने लगा है। इसके चलते शिवसेना को पहला झटका एक विधायक खोकर लगा है तो भाजपा को ज़िलाध्यक्ष गंवाकर।
शिवसेना के चंद्रपुर ज़िले की वरोरा विधानसभा के विधायक पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। दूसरी ओर, सिंधुदुर्ग ज़िले में बनने वाली नाणार रिफ़ाइनरी प्रोजेक्ट को रद्द करने का जो निर्णय किया है, उस कारण भाजपा ज़िलाध्यक्ष प्रमोद जठार पार्टी छोड़ रहे हैं।

किसकी मूँछ ऊँची?

गठबंधन के लिए शिवसेना की तरफ से रखी गयी शर्त के अनुरूप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सिंधुदुर्ग में बनने वाली रिफ़ाइनरी का प्रोजेक्ट रद्द कर दिया है। इसे शिवसेना अपनी जीत बता रही है जबकि भाजपा नेता इसे कोंकण क्षेत्र के विकास में बड़ी बाधा बता रहे हैं।
इस रिफ़ाइनरी को लेकर शिवसेना और नारायण राणे की स्वाभिमानी पार्टी ने विरोध में आन्दोलन चलाया था जबकि भाजपा इसे विकास का नया आयाम कहकर प्रचारित करती रही थी। सऊदी अरब की  'अरमको ' कंपनी के साथ साझा उपक्रम से बनने वाली इस रिफ़ाइनरी की क्षमता प्रतिदिन 12 लाख बैरल बतायी जाती थी, और कहा जाता था कि इससे 3 लाख करोड़ का निवेश आयेगा और एक लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा।
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मचा है अंदरूनी घमासान

वहीं जैसे -जैसे  चुनाव की तसवीर साफ़ होती जा रही है ये बगावती सुर कई लोकसभा क्षेत्रों से उठने लगे हैं। औरंगाबाद से शिवसेना सांसद चंद्रकांत खैरे को अपनी ही पार्टी के साथ भाजपा का भी विरोध झेलना पड़ रहा है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भागवत कराड ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि जब तक शिवसेना औरंगाबाद ज़िला परिषद, औरंगाबाद पंचायत समिति, कन्नड़ पंचायत समिति व सोयगाँव पंचायत समिति में कांग्रेस के साथ किये गए अपने गठबंधन नहीं तोड़ती है, उनकी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता शिवसेना के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।
सांसद खैरे ने रविवार को प्रचार कार्यालय का उद्घाटन किया था और स्नेहभोज भी रखा, लेकिन भाजपा ने उसमें हिस्सा नहीं लिया। यही नहीं, लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली  कन्नड विधानसभा से  शिवसेना विधायक हर्षवर्धन जाधव ने पहले ही बगावत कर पार्टी ही छोड़ दी है, और खुद लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
इसके अलावा चंद्रपुर ज़िले की वरोरा विधानसभा से  शिवसेना विधायक बालु धानोरकर भी कांग्रेस में शामिल हो गए। वह चंद्रपुर लोकसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वह गठबंधन होने से नाराज़ थे और लोकसभा लड़ने की इच्छा उन्होंने उद्धव ठाकरे तक पहुँचाई भी थी।
जालना में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राव साहब दानवे के समक्ष शिवसेना विधायक व मंत्री अर्जुन खोतकर का पेच अभी तक सुलझा नहीं है। खोतकर से रविवार को दानवे ने मुलाक़ात की, लेकिन अंतिम निर्णय अब उद्धव ठाकरे को करना है। मुंबई उत्तर -पूर्व लोकसभा में भी ऐसा ही पेच है, यहाँ भाजपा के वर्तमान सांसद किरीट सोमैया को लेकर शिव सैनिकों में नाराज़गी है।
बीएमसी चुनाव के दौरान बीजेपी नेता किरीट और आशीष शेलार ने चुनाव प्रचार में शिवसेना को लेकर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था, उससे उद्धव ठाकरे भी नाराज़ हैं।
उन्होंने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ गठबंधन पर हुई बातचीत में इस मुद्दे को उठाया था। यही वजह थी कि जब गठबंधन की घोषणा के लिए अमित शाह मुंबई में उद्धव ठाकरे के साथ प्रेस कांफ्रेंस करने पहुँचे, वहाँ पहले से उपस्थित किरीट को सन्देश आया और वे बाहर चले गए थे।
बालाकोट में की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर जिस तरह से भाजपा नेता बयानबाजी कर रहे हैं, उसे लेकर भी शिव सैनिक परेशान हैं। कुछ दिन पहले ही दक्षिण मुंबई लोकसभा क्षेत्र के शिव सैनिकों ने भाजपा की कमल ज्योति यात्रा की  शिकायत उद्धव ठाकरे से की।
उन्होंने बताया कि किस तरह से भाजपा के सांसद-विधायक और नेता, भारतीय वायु सेना की कार्रवाई का श्रेय ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर में होर्डिंग और पोस्टर लगा कर भाजपा अपने आप को नंबर वन पार्टी बता रही है और लोगों की भावनाओं को युद्ध के नाम पर भड़का रही है। शिव सैनिकों की इस नाराज़गी पर उद्धव ठाकरे ने उन्हें यह समझाने का प्रयास किया कि अब गठबंधन हो चुका है और हमें अपना दोस्ताना चेहरा ही दिखाना है। सूत्रों के अनुसार शिव सैनिकों ने उस समय तो किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन वे शिवसेना प्रमुख के जवाब से संतुष्ट भी नहीं दिखे।
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संजय राय
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