सियासी घरानों में सत्ता का संघर्ष कोई नई बात नहीं है। यह संघर्ष राजतंत्र में भी था और अब लोकतंत्र में भी है। हमारे देश के लोकतंत्र में इसकी जड़ें इसलिए ज़्यादा घर कर गई हैं क्योंकि राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला बढ़ा है। कोई एक पार्टी इसके लिए दोषी नहीं है बल्कि सभी पार्टियों में यह बीमारी घुन की तरह लगी हुई है।