इंडिया गठबंधन में महाराष्ट्र में एक और दरार पड़ सकती है, क्योंकि कांग्रेस ने एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुंबई के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस आगामी नागरिक चुनावों में राज ठाकरे के साथ गठबंधन नहीं करेगी। न ही यह उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी, बल्कि स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी।
जगताप ने कहा कि इस मुद्दे पर हाल ही में महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला के साथ एक नई समिति की बैठक में चर्चा हुई थी। हालांकि, अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। नई समिति भी अलग चुनाव लड़ने के पक्ष में है।
शिवसेना यूबीटी नेता आनंद दुबे ने भाई जगताप के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, "गठबंधन का फैसला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और शिवसेना के उद्धव ठाकरे लेंगे। हमें चुनौती न दें। हम शिवसेना हैं और पिछले चुनाव में हमने अकेले लड़कर बीजेपी को हराया था। हम अपने गठबंधन साझेदारों का सम्मान करते हैं, लेकिन अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार हैं।"
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वर्षा गायकवाड़ का हमला 

मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने राज ठाकरे पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस "संविधान या कानून का सम्मान न करने वालों के साथ नहीं खड़ी होगी।" यह बयान तब आया जब एनसीपी (एसपी) ने एमएनएस को शामिल करने पर खुलापन दिखाया, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि राज की एंट्री अवांछित है। इससे एमवीए में तनाव और बढ़ गया है।
कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी 2019 से सहयोगी रही हैं। यह गठबंधन राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार द्वारा बनाया गया था, जो उनकी विरोधी विचारधाराओं के बावजूद समय और कई उतार-चढ़ावों की कसौटी पर खरा उतरा है।
लेकिन उद्धव ठाकरे के अपने अलग हुए चचेरे भाई राज ठाकरे के फिर से करीब आने के साथ, राज ठाकरे को इस समीकरण में शामिल करना एक चुनौतीपूर्ण संभावना हो सकती है। ठाकरे चचेरे भाइयों के बीच कथित तौर पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव से पहले समझौता करने की इच्छा है, जो एशिया का सबसे अमीर नागरिक निकाय माना जाता है।
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के अन्य सहयोगी शरद पवार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन उन्होंने अभी कोई आपत्ति भी नहीं जताई, क्योंकि दोनों क्षेत्रीय दल हैं। लेकिन शरद पवार की प्रतिक्रिया अहम होगी।
बिहार में, आगामी विधानसभा चुनाव के दबाव ने ग्रैंड अलायंस के सहयोगियों को अलग कर दिया है। हालांकि कांग्रेस या लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल की ओर से कोई मजबूत बयान नहीं आया है, लेकिन दोनों सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बना पाए हैं।

राज ठाकरे हैं मुख्य वजह 

अक्टूबर 2025 की शुरुआत से ही उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संबंधों में सुधार देखा गया। 5-6 अक्टूबर को दोनों की मुलाकात के बाद शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने संकेत दिया कि सेना-एमएनएस गठबंधन पर चर्चा चल रही है। राउत ने कहा कि राज ठाकरे चाहते हैं कि कांग्रेस को भी साथ लिया जाए, और एमवीए में एमएनएस की एंट्री संभव है। 14 अक्टूबर को राज ठाकरे ने पहली बार एमवीए नेताओं (उद्धव, शरद पवार आदि) के साथ राज्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात की, जहां मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर सवाल उठाए गए। इससे एमएनएस की एमवीए में शामिल होने की अटकलें तेज हो गईं।
कांग्रेस राज ठाकरे के एमएनएस को एमवीए में शामिल करने का विरोध शुरू कर दिया है। 16 अक्टूबर को महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकल ने कहा कि एमएनएस के साथ गठबंधन का फैसला स्थानीय स्तर पर होगा, और उन्हें कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। उन्होंने जोर दिया कि इंडिया ब्लॉक के मूल्यों जैसे संवैधानिक मूल्य और धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों के आधार पर ही एंट्री संभव है ।
विपक्षी गठबंधन की यह दरार बीजेपी के लिए वरदान साबित हो रही है। बीजेपी विधायक राम कदम ने एमवीए को "केवल नाम का गठबंधन" कहा।