छात्रों की आवाज़ को बुलंद करने वाले जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस से एक दिन पहले वर्धा के महात्मा गाँधी अंतराराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के छह छात्रों को आवाज़ उठाने के लिए विश्वविद्यालय से ही निकाल दिया गया। इन्हें सिर्फ़ इसलिए निष्कासित किया गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। ये वही छात्र हैं जिनके प्रदर्शन को जयप्रकाश नारायण ने नया आयाम दिया था और इंदिरा गाँधी सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा किया था। तब जनसंघ ने भी उनके इस संघर्ष की तारीफ़ की थी। जनसंघ से निकली बीजेपी आज भी जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन की तारीफ़ करते नहीं थकती और जब तब राजनीतिक मंचों से इसका ज़िक्र करती ही रहती है। लेकिन इसी बीजेपी की केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के अंतर्गत आवाज़ उठाने भर से छात्रों को एक झटके में बाहर कर दिया गया है।