छात्रों की आवाज़ को बुलंद करने वाले जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस से एक दिन पहले वर्धा के महात्मा गाँधी अंतराराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के छह छात्रों को आवाज़ उठाने के लिए विश्वविद्यालय से ही निकाल दिया गया। इन्हें सिर्फ़ इसलिए निष्कासित किया गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। ये वही छात्र हैं जिनके प्रदर्शन को जयप्रकाश नारायण ने नया आयाम दिया था और इंदिरा गाँधी सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा किया था। तब जनसंघ ने भी उनके इस संघर्ष की तारीफ़ की थी। जनसंघ से निकली बीजेपी आज भी जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन की तारीफ़ करते नहीं थकती और जब तब राजनीतिक मंचों से इसका ज़िक्र करती ही रहती है। लेकिन इसी बीजेपी की केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के अंतर्गत आवाज़ उठाने भर से छात्रों को एक झटके में बाहर कर दिया गया है।
पीएम को चिट्ठी लिखना गुनाह? वर्धा विश्वविद्यालय ने 6 छात्र निकाले
- महाराष्ट्र
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- 12 Oct, 2019
वर्धा के महात्मा गाँधी अंतराराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के छह छात्रों को विश्वविद्यालय से सिर्फ़ इसलिए निष्कासित कर दिया गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।

हालाँकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन छात्रों के निकाले जाने के पीछ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला दिया है। छात्रों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर सवाल इसलिए भी उठाया है कि इस प्रदर्शन में छात्र बड़ी संख्या में शामिल थे, लेकिन चुन-चुन कर कार्रवाई की गई है। दावा किया गया है कि जिन छात्रों को निकाला गया है वे या तो दलित हैं या फिर ओबीसी। चंदन सरोज (एम फ़िल, सोशल वर्क), नीरज कुमार (पीएचडी, गाँधी और शांति अध्ययन), राजेश सारथी, रजनीश आंबेडकर (महिला अध्ययन विभाग), पंकज वेला (एम फ़िल, गाँधी और शांति अध्ययन) और वैभव पिंपलकर (डिप्लोमा, महिला अध्ययन विभाग) को निष्कासित किया गया है। छात्र दुष्कर्म के आरोपियों को बचाने, मॉब लिंचिंग की घटनाओं सहित ऐसी ही कई बातों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।