देश में मॉब लिन्चिंग और असहिष्णुता की ख़बरों के बीच कोरोना महामारी के काल में दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लीग़ी जमात का मामला मीडिया में जिस तरह से उठाया गया और उन्हें देश में कोरोना विस्फोट या 'कोरोना बम' कहकर जिस तरह से संबोधित किया जाने लगा, संक्रमण के मामलों को तब्लीग़ी और ग़ैर- तब्लीग़ी कहकर वर्गीकृत किया जाने लगा था, उसने 'रेडियो रवांडा' की याद ताजा कर दी थी।