loader

सियासी फायदे के लिए गढ़ी गई पटेल के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन की कहानी?

महाराष्ट्र की राजनीति में नेताओं का अंडरवर्ल्ड  कनेक्शन कोई नयी बात नहीं है। पहले ऐसे आरोपों के घेरे में आये थे प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे और अब नाम आया है पूर्व केंद्रीय मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता प्रफुल पटेल का। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं इसलिए इन चर्चाओं का होना लाजिमी है कि क्या इन आरोपों के पीछे कोई राजनीतिक नफ़े-नुक़सान का खेल तो नहीं है। ऐसे में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का मुंबई पहुंचना और इस विषय को लेकर सवाल खड़े करना इस बात का शक और गहरा कर देता है कि यह मामला चुनाव में राजनीतिक फायदा लेने के उद्देश्य से तो नहीं उछाला जा रहा है। 
संबित पात्रा इस ज़मीन के सौदे को साल 2003 से 2007 के बीच के होने की बात कह रहे हैं लेकिन जो बातें प्रफुल पटेल और एनसीपी की तरफ़ से इसके जवाब में कही गई हैं वह अंडरवर्ल्ड कनेक्शन से इसका कोई नाता नहीं दर्शाती हैं।

जलगांव के रहने वाले एथिकल हैकर मनीष भंगाले ने पाकिस्तान टेलिकॉम विभाग में सेंध मारकर दावा किया था कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के कराची स्थित घर से खडसे के मोबाइल फ़ोन पर कई बार कॉल किए गए। इसके बाद हुई चौतरफ़ा आलोचना के बीच खडसे को महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। लेकिन बाद में उन्हें मुंबई एटीएस ने क्लीन चिट देते हुए कहा था कि उनके मोबाइल पर पिछले एक महीने में कोई अंतरराष्ट्रीय कॉल न तो आया और न ही रिसीव किया गया। अब बारी प्रफुल पटेल की है। 

ताज़ा ख़बरें

इकबाल मिर्ची की संपत्ति ख़रीदी?

पटेल पर दाऊद के क़रीबी रहे ड्रग तस्कर इक़बाल मेनन उर्फ़ इकबाल मिर्ची की मुंबई की एक संपत्ति ख़रीदने का आरोप है। जो जानकारियां अब तक मिली हैं उनके अनुसार यह आरोप हारून यूसुफ़ और रंजीत बिंद्रा नामक दो लोगों की गिरफ्तारी और उनसे हुई पूछताछ के बाद लगने शुरू हुए हैं। 

बताया जाता है कि हारून यूसुफ़ इक़बाल मेनन के सारे फ़र्ज़ी लेनदेन और सम्पत्तियों की अवैध बिक्री में मदद करता था। जबकि रंजीत बिंद्रा नामक व्यक्ति ने मिर्ची और सबलिंक रियल्टर्स के बीच दलाल की भूमिका निभाई थी। इन दोनों को ही शुक्रवार को गिरफ़्तार किया गया। ईडी इस मामले में पिछले दो सप्ताह से सक्रिय रही है। इस संबंध में 18 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और ईमेल से हुई कई बातचीत पुलिस के हाथ लगी हैं। 

मामले में मुंबई और बेंगलुरू में 11 ठिकानों पर पुलिस की रेड भी हुई। इस रेड में एक दस्तावेज़ वह भी है, जिसके मुताबिक़ पटेल फ़ैमिली की कंपनी को ट्रांसफ़र हुआ प्लॉट पहले इक़बाल मेमन की पत्नी हजरा मेमन के नाम पर था। इस प्लॉट के री-डेवलपमेंट (पुनर्विकास) को लेकर दोनों पक्षों के बीच हुए एग्रीमेंट के दस्तावेज़ भी पाए गए हैं। 

2006-07 में हुई इस डील के मुताबिक़ सीजे हाउस की दो मंजिलें मेमन फ़ैमिली को दी गयीं।  इन दो फ़्लोर्स की क़ीमत 200 करोड़ रुपये के क़रीब है। प्रफुल पटेल और उनकी पत्नी मिलेनियम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयर होल्डर हैं। दस्तावेज़ों से पता चला है कि इक़बाल मिर्ची की मुंबई स्थित दो सम्पत्तियां सबलिंक रियल्टर्स और मिलेनियम डेवलपर्स को बेची गई थीं। वरली के पॉश इलाक़े में स्थित एक संपत्ति सबलिंक रियल्टर्स को 2010-11 में बेची गई थी जबकि दूसरी 2006-07 में मिलेनियम डेवलपर्स को बेची गयी। 

इक़बाल मिर्ची की हैं कई संपत्तियां 

मिलेनियम डेवलपर्स ने जिस 15 मंजिला कमर्शियल इमारत का निर्माण किया था, उसे अब सीजे हाउस के नाम से जाना जाता है। मुंबई में इक़बाल मिर्ची की इसके अलावा जो सम्पत्तियाँ पता चली हैं, उनमें  खंडाला में 6 एकड़ की ज़मीन पर स्थित एक बंगला है जो व्हाइट वाटर लिमिटेड के नाम पर पंजीकृत है। यह कंपनी इक़बाल मिर्ची के दोनों बेटों के स्वामित्व की है। इसके अलावा वरली में एक बंगला इक़बाल मिर्ची की बीवी और बेटों के स्वामित्व में है। 

महाराष्ट्र से और ख़बरें

वरली में ही स्थित ‘समंदर महल’ इक़बाल की बहन और उसके परिवार के नाम पर है। पंचगनी में भी उसका एक बंगला है। उसके नाम पर भायखला रोड में एक सिनेमा हॉल, क्राफेड मार्किट में तीन दुकानें और जुहू तारा रोड में एक होटल भी है। 

इक़बाल मेनन उर्फ़ मिर्ची दाऊद का बहुत क़रीबी माना जाता था और 1995 में हुए मुंबई बम धमाकों के बाद वह देश छोड़कर भाग गया था। बताया जाता है कि बाद में उसने नशे का कारोबार दुबई में शुरू किया और वहीं से इसे संचालित करता था।

अमेरिका ने 2004 में दुनिया के 10 विदेशी ड्रग सरगनाओं की जो सूची बनायी थी उसमें मिर्ची का नाम भी शामिल किया था। भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण की बहुत कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हो सकी थी। 

इक़बाल ने बनाई अकूत संपत्ति

इक़बाल की अगस्त 2013 में मृत्यु हो गई थी। उसने अवैध तरीक़े से कमाए गए रुपयों का इस्तेमाल करते हुए भारत से लेकर विदेशों तक में अकूत संपत्ति जमा की थी। उसकी कई सम्पत्तियों को जब्त भी किया गया था लेकिन उसने फ़ेक डॉक्यूमेंट्स और जालसाजी का ऐसा व्यूह रचा था कि भारतीय एजेंसियाँ लाचार हो गईं और उसकी सम्पत्तियों को छोड़ना पड़ा। अब उसकी सम्पत्तियों को लेकर एक बार फिर से कार्रवाई तेज़ हो गई है। 

एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में ईडी ने इक़बाल मिर्ची की जितनी सम्पत्तियाँ चिन्हित की हैं उनकी क़ीमत क़रीब एक हज़ार करोड़ रुपये के आसपास है। इस मामले में नाम आने पर एनसीपी ने प्रफुल पटेल पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि सीजे हाउस को जिस ज़मीन पर बनाया गया, वह 1963 में ग्वालियर के महाराजा से ख़रीदी गई थी। इसके मालिकों के बीच विवाद के कारण 1978 से 2005 तक ये संपत्ति कोर्ट की कार्रवाई में फँसी रही। 

एनसीपी ने कहा है कि यह एक पुरानी इमारत थी जिसकी वजह से उस समय कुछ लोग अवैध रूप से वहाँ रहने लगे थे, जिन्हें बाद में इमारत के पुनर्विकास के बाद तीसरे फ़्लोर पर शिफ़्ट किया गया। उन लोगों को तीसरी मंजिल पर यह जगह कोर्ट के आदेश के अनुसार प्रदान की गयी है।

एनसीपी ने कहा है कि ख़बरों में जिन लोगों को घसीटा जा रहा है, सीजे हाउस उनके स्वामित्व में नहीं है। पार्टी की तरफ़ से कहा गया है कि अदालत के आदेश के अनुसार, पुरानी इमारत में रह रहे लोगों को किरायेदार हक नियम के तहत जगह प्रदान की गयी है। किरायेदार हक नियम के तहत इकबाल मिर्ची ने 1985 में यह जगह ख़रीदी थी इसलिए जो दस्तावेज़ बने उसमें पटेल परिवार के सदस्यों के नाम भी आये हैं।  

संबंधित ख़बरें

बताया जाता है कि जहां पर यह सीजे हाउस है, वहां पहले गुरुकृपा नाम से होटल था। इस होटल को लेकर अदालत में वाद चल रहा था। 1985-86 में इस वाद में मध्यस्थता के नाम पर इक़बाल मिर्ची आया और उसने इस संपत्ति को बेनामी रूप से ख़रीद लिया। मिर्ची ने यहां एक डिस्कोथेक शुरू किया था तथा नाव खड़ी करने के लिए एक जेट्टी भी बनायी थी। 

यूपीए की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रफुल पटेल से इससे पहले भी एविएशन स्कैम केस में ईडी ने 8 घंटे तक पूछताछ की थी। अब इस मामले में क्या होगा यह कहा नहीं जा सकता लेकिन ईडी के सूत्रों से जो ख़बर मिली है उसके अनुसार पटेल परिवार के सदस्यों से पूछताछ की जा सकती है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजय राय
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें