शिंदे गुट के शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ एक बार फिर विवादों में हैं। कभी राहुल गांधी की जीभ काटने की पेशकश, अब आकाशवाणी कैंटीन कर्मी से मारपीट– आखिर क्यों बार-बार विवादों में घिर जाते हैं ये नेता?
राहुल गांधी की जीभ काटने के लिए 11 लाख के इनाम की पेशकश कर कभी चर्चित रहे शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह हैरान करने वाली है! आकाशवाणी कैंटीन कर्मचारी को मुक्के मारने की वजह से महाराष्ट्र की सियासत में हलचल है। सत्तारूढ़ गठबंधन के इस विधायक के कारनामे को लेकर विपक्षी दलों की आलोचनाओं का इतना दबाव पड़ा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इसको लेकर सफ़ाई देनी पड़ी है।
वैसे, गायकवाड़ की हरकतों से बार-बार सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी होती रही हैं। कभी विपक्षी नेताओं के लिए आपत्तिजनक विवाद देकर तो कभी अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ बयान देकर वह लगातार विवादों में रहे हैं। क्यों बुलढाणा के इस विधायक की हर हरकत बन जाती है सनसनी?
कैंटीन कर्मचारी की पिटाई
मुंबई के आकाशवाणी गेस्ट हाउस में कैंटीन कर्मचारी पर हमला करने का वीडियो वायरल होने के बाद गायकवाड़ की आलोचना हो रही है। यह घटना मंगलवार रात की है और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वायरल वीडियो में बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड़ को कैंटीन कर्मचारी योगेश कुटरन पर चिल्लाते, उन्हें खाना सूंघने के लिए मजबूर करते और फिर थप्पड़ और मुक्के मारते हुए देखा जा सकता है। गायकवाड़ ने दावा किया कि उन्हें परोसी गई दाल और चावल बासी थे। इस कारण उन्होंने यह क़दम उठाया। उन्होंने कहा, 'मैं पिछले 30 साल से आकाशवाणी कैंटीन में खाना खा रहा हूँ और पिछले 5.5 साल से यहाँ रह रहा हूँ। मैंने बार-बार खाने की गुणवत्ता सुधारने की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।'
गायकवाड़ ने अपने इस कृत्य का बचाव करते हुए कहा, 'मुझे इस पर कोई पछतावा नहीं है। अगर कोई हिंदी, मराठी या अंग्रेजी नहीं समझता तो उसे शिवसेना स्टाइल में जवाब देना पड़ता है।' उन्होंने यह भी दावा किया कि कैंटीन में चूहे घूमते हैं और कई बार खाने में छिपकली और रस्सी के टुकड़े मिले हैं।
विपक्ष का तीखा हमला, फडणवीस भी नाराज़
इस घटना पर विपक्ष ने गायकवाड़ पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक्स पर लिखा, 'शाह सेना के विधायक संजय गायकवाड़ से मिलिए। पिछले साल इन्होंने राहुल गांधी की जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की धमकी दी थी। अब ये एक गरीब, असहाय कैंटीन कर्मचारी को पीटते दिख रहे हैं। लेकिन क्योंकि ये बीजेपी के सहयोगी हैं, इसलिए न्यूज़ चैनलों में कोई नाराजगी नहीं दिख रही।'
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने भी गायकवाड़ की निंदा की और सवाल उठाया कि उन्होंने कर्मचारी के खिलाफ कानूनी रास्ता क्यों नहीं अपनाया। उन्होंने कहा, 'हर नागरिक को अच्छा खाना खाने का हक है, लेकिन कर्मचारी को पीटना गलत है।'
फडणवीस ने भी इस घटना पर चिंता जताई और कहा, 'इस तरह का व्यवहार गलत संदेश देता है। यह विधायकों और विधानमंडल की छवि को धूमिल करता है।' उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इस मामले पर कार्रवाई करने को कहा।
'राहुल गाँधी की जीभ काटने' की पेशकश की थी
यह पहली बार नहीं है जब संजय गायकवाड़ विवादों में घिरे हैं। सितंबर 2024 में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरक्षण व्यवस्था पर दिए गए बयान के विरोध में उनकी जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। गायकवाड़ ने कहा था, 'राहुल गांधी ने विदेश में कहा कि वह भारत में आरक्षण व्यवस्था ख़त्म करना चाहते हैं। यह कांग्रेस का असली चेहरा दिखाता है। मैं उनकी जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये दूँगा।' इस बयान ने देशभर में हंगामा मचा दिया था और उनके ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।
इसके बाद गायकवाड़ ने एक अन्य वीडियो में कहा था कि वह एकनाथ शिंदे के किसी कार्यक्रम में 'कांग्रेस के किसी कुत्ते' को घुसने नहीं देंगे। इस बयान ने भी उनकी आलोचना को और बढ़ाया।
बाघ का शिकार और फडणवीस पर टिप्पणी
गायकवाड़ का विवादों से पुराना नाता है। 2024 में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 1987 में एक बाघ का शिकार किया था और उसके दांत को पहनते हैं। इस बयान के बाद वन विभाग ने तुरंत वह दांत ज़ब्त कर लिया और वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया।
गायकवाड़ ने अप्रैल 2021 में तत्कालीन विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस पर हमला बोलते हुए कहा था कि वह 'कोरोनावायरस को फडणवीस के गले में ठूंस देना चाहते हैं', क्योंकि उन्होंने महामारी के दौरान राजनीति करने का आरोप लगाया था।
अन्य विवादों में भी रहे
इस साल मार्च में गायकवाड़ का एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे पुलिस की डंडे से कुछ लोगों की पिटाई करते दिखे। उन्होंने इस घटना को ठीक ठहराते हुए कहा कि वे लोग ग़लत व्यवहार कर रहे थे। इसके बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें एक पुलिसकर्मी उनकी निजी गाड़ी को धोता दिखा। इस पर लोगों ने सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। गायकवाड़ ने इसका भी बचाव किया और कहा कि पुलिसकर्मी ने गाड़ी में उल्टी करने के बाद खुद गाड़ी धोने की पेशकश की थी।
अपनी सरकार की पुलिस पर हमला
अप्रैल में गायकवाड़ ने महाराष्ट्र पुलिस को 'दुनिया का सबसे अक्षम विभाग' कहकर अपनी ही पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को नाराज़ कर दिया। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने पुलिस पर ज़ब्त की गई रकम को कम दिखाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'अगर पुलिस 50 लाख रुपये पकड़ती है तो सिर्फ 50,000 रुपये दिखाती है।' इस बयान की तीखी आलोचना हुई। शिंदे ने उन्हें फोन करके नाराज़गी जताई और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि ऐसे बयानों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बाद में गायकवाड़ ने माफी मांगी।
पिछले हफ्ते गायकवाड़ फिर विवाद में फँस गए जब उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी राजे पर टिप्पणी की। ये टिप्पणियाँ उन्होंने शिवसेना के विरोधी नेताओं को निशाना बनाते हुए की थीं। लोगों के गुस्से के बाद उन्होंने माफी मांगी और खुद को शिवाजी का सच्चा भक्त बताया।
गायकवाड़ ने अपने विधानसभा क्षेत्र के वोटरों को भी नहीं बख्शा। पिछले साल विधानसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ 841 वोटों के मामूली अंतर से जीत मिली थी। जनवरी में बुलढाणा के एक कार्यक्रम में उन्होंने वोटरों की आलोचना करते हुए कहा, 'आप लोग मुझे एक भी वोट नहीं दे सकते। इन्हें सिर्फ शराब, मटन और पैसे की फिक्र है। ये लोग सिर्फ 2,000 रुपये में खरीदे गए।' इस भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें वे मराठी में अपशब्द कहते दिखे। इस बयान की सभी पार्टियों ने कड़ी निंदा की।
शिवसेना ने किया बचाव
शिवसेना (शिंदे गुट) ने गायकवाड़ के ताज़ा बयान का बचाव करते हुए उन्हें संवेदनशील विधायक क़रार दिया, लेकिन विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दबाव बढ़ता जा रहा है। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या गायकवाड़ के ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी कार्रवाई होगी, क्योंकि अभी तक कोई आधिकारिक पुलिस शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
संजय गायकवाड़ की हरकतों ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। उनकी आक्रामक छवि, भड़काऊ बयानबाजी और हिंसक व्यवहार ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठाया है कि क्या एक जनप्रतिनिधि को इस तरह का व्यवहार करना चाहिए। विपक्ष ने इस घटना को सत्तारूढ़ गठबंधन की गुंडागर्दी का प्रतीक बताया है, जबकि गायकवाड़ ने अपने कार्यों को सही ठहराया है। यह देखना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या गायकवाड़ के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़दम उठाया जाएगा।