शिवसेना विधायक द्वारा कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ मारने की घटना के बाद अब उसी कैंटीन का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। क्या ये कार्रवाई सवालों के घेरे में है? जानिए पूरा मामला।
मुंबई के अकाशवाणी विधायक गेस्ट हाउस की कैंटीन का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है। ये वही कैंटीन है जहां के कर्मचारी को शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने सिर्फ़ इसलिए थप्पड़ और मुक्का मार दिया था, क्योंकि दाल खराब थी। ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और काफी बवाल भी हुआ। विधायक के खिलाफ तो कोई कार्रवाई हुई नहीं लेकिन कर्मचारियों की मुसीबतें ज़रूर बढ़ गईं।
बीते मंगलवार की रात बुलढाणा से शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ ने अकाशवाणी गेस्ट हाउस की कैंटीन में खाना मंगवाया। लेकिन जब उन्होंने दाल चखी, तो उनको उसका स्वाद पसंद नहीं आया। बस फिर क्या था— गुस्से में आग-बबूला हो गए। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि गायकवाड़ कैंटीन के एक कर्मचारी को गालियाँ दे रहे हैं, और बिल देने से इनकार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, गायकवाड़ ने कर्मचारी को दाल का पैकेट सूंघने को कहा और फिर गुस्से में आकर उसे इतना ज़ोर से मुक्का मारा कि बेचारा ज़मीन पर गिर गया। जब वो उठने लगा, तो विधायक ने उसे फिर से थप्पड़ मार दिया। पूरा मामला अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, और लोग विधायक के इस बर्ताव को लेकर काफी नाराज़ हैं। इस वायरल वीडियो ने पूरे महाराष्ट्र में हंगामा मचा दिया। लोग हैरान थे कि एक विधायक ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है।
एफ़डीए ने की कैंटीन की जाँच
वीडियो वायरल होते ही महाराष्ट्र का खाद्य एवं औषधि प्रशासन यानी एफ़डीए एक्शन में आ गया। बुधवार को एफ़डीए की 6 लोगों की टीम, जिसमें अधिकारी आर.एस. बोडके भी थे, कैंटीन की जाँच करने पहुंची। करीब 4 घंटे तक हर कोना खंगाला गया— रसोई, स्टोर, साफ-सफाई सब देखा गया। जांच में सामने आया कि कैंटीन में हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। गंदे फर्श, जंग लगे बर्तन, कर्मचारियों ने दस्ताने नहीं पहने थे, और खाना कचरे के पास रखा हुआ था। एफ़डीए ने 16 खाद्य नमूने लिए, जिनकी टेस्टिंग की रिपोर्ट 14 दिन में आएगी।
वहीं दूसरी ओर विधायक ने दावा किया कि कैंटीन का खाना पहले भी कई बार खराब मिला है— कभी छिपकली, कभी चूहा, तो कभी रस्सी। गायकवाड़ ने खुलेआम अपने व्यवहार का बचाव किया। उनका कहना था कि ये “शिवसेना स्टाइल” है, जो बालासाहेब ठाकरे से प्रेरित है। गायकवाड़ ने कहा, “अगर कोई लोकतंत्र की भाषा नहीं समझता, तो ये मेरी भाषा है। मैं योद्धा हूँ।”
ये कोई पहली बार नहीं है जब गायकवाड़ विवादों में आए। पिछले साल 2024 में गायकवाड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था और उनकी जीभ काटने वाले को 11 लाख रुपये का इनाम देने की बात कही थी।
इसके अलावा, गायकवाड़ ने उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणियाँ की थीं। पर सवाल तो ये है— क्या ये “शिवसेना स्टाइल” का हवाला देकर पुलिस जांच और शिकायत से बच निकलेंगे? क्या महाराष्ट्र पुलिस इन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी? अगर खाना खराब था तो क्या उसका गुस्सा कर्मचारी पर निकालना सही था?
फडणवीस ने जताई नाराज़गी
इस घटना ने सियासत में भी तूफान ला दिया है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विधायक संजय गायकवाड़ के बर्ताव की कड़ी निंदा की और कहा कि किसी कर्मचारी पर हाथ उठाना शिकायत का तरीका नहीं हो सकता, इससे विधायकों की छवि खराब होती है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और परिषद के सभापति से इस मामले में कार्रवाई की मांग की। वहीं विपक्ष भी पीछे नहीं रहा।
शिवसेना (यूबीटी) के विधायक अनिल परब ने विधान परिषद में गायकवाड़ के निलंबन की मांग करते हुए कहा, “क्या ये विधायक हैं या सड़क के गुंडे? ऐसा बर्ताव विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुँचाता है।” शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा, “ये शिवसेना का विधायक एक गरीब कर्मचारी को मार रहा है।” वहीं सचिन अहिर ने तंज कसते हुए कहा, “मुद्दा सही है, लेकिन तरीका गलत। गायकवाड़ को तो बॉक्सिंग का ब्रांड एम्बेसडर बना देना चाहिए!” इस पूरे मामले ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है और अब सबकी नजर इस पर है कि गायकवाड़ के खिलाफ क्या कदम उठाती है।
मान लिया कि खाने की क्वालिटी वाक़ई खराब थी, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि कोई विधायक गुस्से में आकर किसी कर्मचारी को थप्पड़ मार दे। शिकायत करना हक़ है, लेकिन किसी को पीटना हक़ नहीं है— चाहे वो विधायक हो या कोई और। अब कैंटीन का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया, ठीक है... लेकिन सवाल ये है कि क्या इतना काफी है? जो नेता हाथ चला रहे हैं, क्या वो भी सज़ा के हकदार नहीं हैं?
अब दक्षिण भारतीय रेस्तरां पर विवादित बयान
संजय गायकवाड़ ने गुरुवार को दक्षिण भारतीयों को लेकर विवादास्पद टिप्पणियाँ कर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने दावा किया कि दक्षिण भारत के लोग जो डांस बार और लेडीज बार चलाते हैं, उन्हें महाराष्ट्र में खाद्य आपूर्ति के ठेके नहीं दिए जाने चाहिए। उन्होंने आजतक से बातचीत में दावा किया कि उन्होंने ठेकेदार को अपने स्टाइल में सबक सिखाया। उन्होंने ठेकेदार से मारपीट पर अफसोस जताने के बजाए, उन्होंने अपने कृत्य का बचाव किया और कहा कि भविष्य में भी मैं ऐसा करूंगा।