सुप्रीम कोर्ट ने नासिक में हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह को गिराने पर अंतरिम रोक लगा दी है और इससे जुड़ी याचिका को सूचीबद्ध न करने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी है। मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को है।
नासिक दरगाह को अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान ही गिरा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने नासिक नगर निगम द्वारा हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह को ढहाने के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से यह स्पष्ट करने को कहा है कि दरगाह की ओर से दायर याचिका को 10 दिनों तक सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया। यह मामला नासिक के काठे गल्ली क्षेत्र में स्थित एक दशकों पुरानी दरगाह के विध्वंस से जुड़ा है, जिसे नगर निगम ने अवैध निर्माण करार दिया था। हालांकि अदालत में यह सब कार्रवाई चल रही थी और हाईकोर्ट सुनवाई नहीं कर रहा था तो इसी दौरान दरगाह को बुलडोजर से गिरा दिया गया।
नासिक नगर निगम ने 1 अप्रैल 2025 को हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह के खिलाफ एक नोटिस जारी किया था, जिसमें इसे अवैध निर्माण बताते हुए ढहाने का आदेश दिया गया था। इस नोटिस के खिलाफ दरगाह ट्रस्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट में 7 अप्रैल को याचिका दायर की थी। याचिका में तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी, क्योंकि दरगाह के विध्वंस की तारीख नजदीक आ रही थी। हालांकि, ट्रस्ट के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पहवा ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि 8 अप्रैल से याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए बार-बार अनुरोध किया गया, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया।
इस बीच, नासिक नगर निगम ने 15 और 16 अप्रैल की मध्यरात्रि को दरगाह के विध्वंस की कार्रवाई शुरू कर दी। इस दौरान स्थानीय लोगों और कुछ संगठनों के विरोध के कारण हिंसा भड़क उठी, जिसमें 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए और तीन पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचा। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। 15 लोगों को हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया, और 500 से 1,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जॉयमाला बागची की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पहवा ने कोर्ट को बताया कि दरगाह एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, और इसका विध्वंस अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है। उन्होंने हाई कोर्ट द्वारा याचिका को सूचीबद्ध न करने पर गंभीर सवाल उठाए। पहवा के इस बयान को कोर्ट ने "गंभीर" माना और कहा कि इसके लिए वकील को अपने बयान की जिम्मेदारी लेनी होगी।
कोर्ट ने नासिक नगर निगम के 1 अप्रैल के नोटिस पर अंतरिम रोक लगाते हुए आदेश दिया, "जब तक अगली सुनवाई नहीं होती, नासिक नगर निगम द्वारा जारी नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।" इसके साथ ही, बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को याचिका की सूचीबद्धता के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को तय की गई है।
दरगाह के विध्वंस के दौरान भड़की हिंसा ने इस मामले को और जटिल बना दिया। नासिक के पुलिस आयुक्त संदीप कर्णिक ने बताया कि मंगलवार रात को शुरू हुई कार्रवाई के दौरान भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके जवाब में पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। उन्होंने यह भी दावा किया कि दरगाह ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका के बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी थी।
नासिक सेंट्रल की विधायक देवयानी फरांदे ने विध्वंस का समर्थन करते हुए कहा कि फरवरी में शुरू हुआ अतिक्रमण हटाओ अभियान अधूरा था, और पूरे क्षेत्र को साफ करने की जरूरत थी। दूसरी ओर, दरगाह ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि विध्वंस की कार्रवाई "सामुदायिक तनाव" पैदा करने के लिए की गई।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल दरगाह के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित सुनवाई के महत्व को भी रेखांकित करता है। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा याचिका को सूचीबद्ध न करने का मुद्दा गंभीर सवाल उठाता है, और शीर्ष अदालत की ओर से मांगी गई रिपोर्ट इस मामले में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।
इस घटना ने नासिक में सामुदायिक तनाव को भी उजागर किया है। कुछ स्थानीय निवासियों और हिंदुत्व संगठनों ने दरगाह को पूरी तरह हटाने की मांग की थी, जबकि ट्रस्ट और समुदाय के अन्य सदस्य इसे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं।
दरगाह ट्रस्ट के सदस्य फहीम शेख ने बताया कि विध्वंस की कार्रवाई अचानक शुरू हुई थी, और उन्हें सुबह 10 बजे के आसपास मलबे और नुकसान की जानकारी मिली। ट्रस्ट अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा जता रहा है, और उम्मीद कर रहा है कि उनकी याचिका पर निष्पक्ष सुनवाई होगी।
यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संवेदनशीलता से भी जुड़ा है।