बेबाक बयानों और राजनीतिक सक्रियता के लिए सुर्खियों में रहे जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निजी सचिव कंवर सिंह राणा ने उनके निधन की पुष्टि की है। मलिक लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और हाल ही में उनकी स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता बुद्ध सिंह उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार थे। जब सत्यपाल मात्र ढाई वर्ष के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। इसके बाद उनकी मां जगनी देवी उन्हें हरियाणा के चरखी दादरी ले गईं, जहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई। मलिक ने मेरठ कॉलेज से बीएससी और 1970 में एलएलबी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान वे मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे, जिसने उनके राजनीतिक जीवन की नींव रखी।
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सत्यपाल मलिक का राजनीतिक करियर 1974 में शुरू हुआ, जब वे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में भारतीय क्रांति दल से बागपत सीट पर विधानसभा चुनाव जीते। इसके बाद उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों जैसे लोकदल, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के साथ काम किया। वे 1980-1985 तक लोकदल से और 1985-1989 तक कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रहे। 1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए और केंद्र सरकार में संसदीय कार्य एवं पर्यटन राज्यमंत्री रहे।

2004 में बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने बागपत से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन रालोद नेता अजीत सिंह से हार गए। 2012-13 में वे बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे।

सत्यपाल मलिक को 2017 में बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2018 में जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद वह गोवा और मेघालय के भी राज्यपाल रहे।

जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया

सत्यपाल मलिक का जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल (23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019) विशेष रूप से चर्चा में रहा। उनके कार्यकाल में ही 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने का ऐतिहासिक फ़ैसला लिया। मलिक ने इस फ़ैसले में अहम भूमिका निभाई, हालाँकि उन्होंने बाद में दावा किया कि उन्हें इस फ़ैसले की जानकारी केवल एक दिन पहले दी गई थी।

मलिक ने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार के मुद्दों को भी उठाया। उन्होंने किरू जलविद्युत परियोजना में 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश का आरोप लगाया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इस मामले में सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू की और बाद में उसने छापे भी मारे थे। इसको मलिक ने राजनीतिक साजिश करार दिया था।
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मलिक का सरकार विरोधी रुख 

सत्यपाल मलिक अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कई मौकों पर केंद्र सरकार और बीजेपी की नीतियों की आलोचना की। खास तौर पर, 2019 के पुलवामा हमले के बाद उन्होंने केंद्र सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठाए और इसे खुफिया विफलता बताया। उन्होंने दावा किया कि सीआरपीएफ़ जवानों को हवाई मार्ग से ले जाने की मांग को नजरअंदाज किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 40 जवान शहीद हुए। मलिक ने किसानों के मुद्दों पर भी सरकार की आलोचना की और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के किसान समर्थक बयानों का स्वागत किया। उनकी बेबाकी ने उन्हें कई बार विवादों में भी ला खड़ा किया, लेकिन उन्होंने हमेशा सच बोलने की बात कही।

पीएम पर हमलावर रहे थे

सत्यपाल मलिक कई मौक़ों पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले कर चुके हैं। पिछले महीनों में वह कई इंटरव्यू में प्रधानमंत्री पर सवाल उठाते रहे हैं। मलिक आरोप लगा चुके हैं कि पुलवामा अटैक के समय पीएम नरेंद्र मोदी कॉर्बेट नेशनल पार्क में अपनी शूटिंग करवा रहे थे। मलिक ने पुलवामा आतंकी हमले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की थी। 14 अप्रैल को द वायर न्यूज पोर्टल को दिए एक साक्षात्कार में, भी सत्यपाल मलिक ने सनसनीखेज दावा किया था। उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल के रूप में इस पर बोला तो प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा था, 'तुम अभी चुप रहो'। सत्यपाल मलिक कह चुके हैं कि देश बहुत गलत आदमी के हाथ में है।

वह किसानों के मुद्दों पर भी केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। पिछले किसान आंदोलन के समय भी वह खुलकर किसानों के समर्थन में आए थे। 2021 में उन्होंने कहा था कि किसानों का धरना खत्म हुआ है उनका आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। वह कई मौके पर कह चुके हैं कि किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए। पिछले आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत पर शोक नहीं जताने के लिए भी वह पीएम मोदी की आलोचना कर चुके हैं। 
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सत्यपाल मलिक का स्वास्थ्य

सत्यपाल मलिक पिछले कुछ समय से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। मई 2025 से उनकी हालत बिगड़ने लगी थी और 11 मई को उन्हें दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में भर्ती किया गया। जून में उन्होंने आईसीयू से एक भावुक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने सरकार पर सीबीआई के ज़रिए उन्हें फँसाने का आरोप लगाया। उनकी हालत लगातार गंभीर बनी रही और आख़िरकार 5 अगस्त 2025 को उनका निधन हो गया।

सत्यपाल मलिक का जीवन एक साधारण किसान परिवार से शुरू होकर देश के कई अहम पदों तक पहुँचा। उनकी बेबाकी, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में उनकी भूमिका हमेशा याद रखी जाएगी। उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक अनुभवी और निडर नेता खो दिया है।