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मुलायम का जाना: समाजवादी नेताओं की एक अड़ियल पीढ़ी खत्म 

धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव नहीं रहे। आज सुबह मेदांता अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। खांटी समाजवादी नेता मुलायम, समाजवादी महान चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया के शिष्य थे। उत्तर प्रदेश की राजनीति के वे दशकों से स्तंभ थे। खासतौर पर पिछड़ों, मुस्लिमों के बीच वे जननायक थे।

लंबे दौर में उन्होंने उत्थान-पतन के कई दौर देखे। उनके साथ ही समाजवादी नेताओं की एक अड़ियल पीढ़ी खत्म हो गई। पिछले तीन-चार वर्षों से वह सेहतमंद नहीं थे। 

तीन साल पहले उनके साथ लंबी बैठकी हुई थी। जब मैंने कई मुद्दों पर कुरेदा, तो वे भावुक भी हुए। उन्होंने स्वीकार किया था कि कई बार वोट बैंक के चक्कर में उनसे भी बड़ी भूलें हुईं हैं। उन्हें अमर सिंह से ज्यादा करीबी होने का रंज था। ये भी स्वीकार किया कि इसी दोस्ती के चलते कुनबे में मनभेद भी हुए। 

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जब मोदी से जुड़ी चर्चा चली तो वे बोले थे, ये नेता देश की एकता के  लिए हानिकारक है। जब पूछा, आप भी डरते हैं?, इस पर नेता जी भावुक हो गए। बोले- उसके पास बड़ी कॉर्पोरेट लॉबी है। इसी लॉबी ने आडवाणी जी और शिवराज चौहान का पत्ता कटवा दिया था। इसी के चलते राजनाथ सिंह कभी पीएम नहीं बन सकते। वर्ना, बीजेपी में इस पद के लायक वही हैं। 

जब पूछा, मोदी राज कितना लंबा हो सकता है? इस पर वे कुछ देर तक खामोश रहे। फिर बोले, ये शख्स बे मुरव्वत है। मुझे भी बुढ़ापे में अंदर कर सकता है। इसी से मोदी पर सीधी आलोचना से बचता  हूं। लेकिन अखिलेश नहीं मानता। 

Mulayam Singh Yadav passed away in Medanta Hospital - Satya Hindi

मुझसे पारिवारिक हाल लेने के बाद कहा, वीरेंद्र, अब हम लोगों का दौर गया। तीखी पत्रकारिता करोगे, तो ये मोदी युग है समझ लो। ठीक नहीं  होगा। मैंने मजा लिया। आप तो सिखाते हो कभी झुकना नहीं चाहिये? इस पर वे हंस पड़े, बोले अब क्या कहें। मैं बड़े होने के नाते समझा रहा हूं। बड़ों-बड़ों को कभी-कभी रणनीति बदली पड़ती है। 2024 के बाद असली पत्रकारिता कर लेना? आपकी  भविष्यवाणी मानूं?, नहीं, अनुभव से कह रहा हूं। 

मैंने खुश करने के लिए कहा तो नेता जी! आप का मौका भी आ सकता है? नेता जी ने प्यार से थाप लगाई। बोले, लगते भोले हो, लेकिन मेरी भी चुटकी लेते हो। 

Mulayam Singh Yadav passed away in Medanta Hospital - Satya Hindi

आगे की रणनीति पर बात चली, तो उनका सवाल था, क्या हम 2024 तक बचेंगे? मैंने कहा आप को कुछ नहीं होगा। वे बोले थे, अब वीरेंद्र थक रहा हूं। तमन्ना तो है कि मोदी मुक्त देश देखकर अलविदा लूँ। बोले थे, आते रहना जब तक हूं, अंतिम विदाई में भले ना आना। मैं चुप रहा, तो वे हंस पड़े। अरे! तब मैं शिकायत करने थोड़ा लौट आऊंगा!

आज उनके निधन की खबर आई तो उस यादगार मुलाकात की स्मृतियाँ कौंधने लगीं। अलविदा  नेता जी। आप बहुत याद आओगे। सादर नमन!

(वीरेंद्र सेंगर की फेसबुक वाल से साभार) 

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वीरेंद्र सेंगर
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