अरुण जेटली की राजनीति भले ही लुटियंस के गलियारों में चमकी थी, लेकिन इससे पहले उनका राजनीतिक अनुभव छात्र राजनीति तक ही सीमित था। जेटली जब दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में पढ़ते थे तो देश में जय प्रकाश नारायण के आंदोलन की धमक बढ़ती जा रही थी। देश के अन्य महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी और इसके महाविद्यालयों में भी जब यह आंदोलन बढ़ने लगा तो जेटली भी उसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के माध्यम से शामिल हुए। इस दौरान जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे और आंदोलन के दौरान ही आपातकाल में उनकी गिरफ़्तारी भी हुई और वह क़रीब 19 महीने तक तिहाड़ जेल में रहे थे।
छात्र राजनीति में सक्रिय रहे जेटली आपातकाल में गए थे जेल
- श्रद्धांजलि
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- संजय राय
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- 17 Aug, 2019
अरुण जेटली की राजनीति भले ही लुटियंस के गलियारों में चमकी थी, लेकिन इससे पहले उनका राजनीतिक अनुभव छात्र राजनीति तक ही सीमित था।

तिहाड़ में काटे अपने वक़्त को जेटली बहुत गर्व के साथ याद करते थे। 2010 में ‘आउटलुक’ पत्रिका में एक लेख में उन्होंने लिखा, ‘मैं किचन का इंचार्ज था, नाश्ते में परांठे बनाने के लिए मैंने कुछ क़ैदियों को ढूंढ लिया था और जेल वार्डन, जो एक भले इंसान थे, से हमने मीट बनाने की इजाज़त ले ली थी जिसके फलस्वरूप रात के खाने में हमें रोगन जोश मिलता था, हम जेल से मोटे-ताज़े होकर बाहर निकले।’ एक अन्य लेख में जेटली ने लिखा, ‘हम नौजवानों के लिए जिनके ऊपर परिवार को संभालने की ज़िम्मेदारी नहीं थी, जेल असल में किसी कॉलेज या स्कूल का लंबा कैंप बन गया था।’