‘असमानता और उत्पीड़न के प्रतीक, अपने प्राचीन धर्म को त्यागकर आज मेरा पुनर्जन्म हुआ है। अवतरण के दर्शन में मेरा कोई विश्वास नहीं है, यह दावा सरासर ग़लत और शातिराना होगा कि बुद्ध भी विष्णु के अवतार थे। मैं किसी हिन्दू देवी-देवता का भक्त नहीं हूँ। आइंदा मैं कोई श्राद्ध नहीं करूंगा। मैं बुद्ध के बताए अष्टमार्ग का दृढ़ता से पालन करूंगा। बौद्ध धर्म ही सच्चा धर्म है और मैं ज्ञान, सद्मार्ग और करुणा के तीन सिद्धांतों के प्रकाश में जीवनयापन करूंगा।’

डॉक्टर बी. आर आंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया। 64 साल पहले हुई इस महत्वपूर्ण घटना की क्या वजह थी? डॉक्टर आंबेडकर ने बौद्ध धर्म की ही दीक्षा क्यों ली? बता रहे हैं रविकांत।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।