मणिपुर, कर्नाटक और अब मध्य प्रदेश में विधायकों के दल-बदल और इस्तीफ़े देने की घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है कि दल-बदल क़ानून अपना महत्व खोता जा रहा है। देश की राजनीति और लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता तथा नैतिकता बनाये रखने के लिये संविधान की दसवीं सूची में शामिल इस क़ानून में पहले से ज़्यादा कठोर प्रावधान करना ज़रूरी हो गया है।