अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का फाइल फोटो।
राष्ट्रपति ने अपने शुभकामना संदेश में कहा: हम सब सौभाग्यशाली हैं कि राष्ट्र के पुनुरत्थान के नए चक्र के शुभारंभ के साक्षी बन रहे हैं। राम मंदिर के शुभारंभ अवसर पर व्याप्त देशव्यापी उत्सवी वातावरण को राष्ट्रपति ने भारत की चिरंतन अन्तरात्मा की उन्मुक्त अभिव्यक्ति निरूपित किया। ‘आपके द्वारा किया गया 11-दिवसीय कठिन अनुष्ठान ,पवित्र धार्मिक परंपराओं का अनुसरण मात्र नहीं बल्कि त्याग की भावना से प्रेरित सर्वोच्च धार्मिक कृत्य है तथा प्रभु श्री राम के प्रति संपूर्ण समर्पण का आदर्श है,’ राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को प्रेषित पत्र में कहा।
साधुओं, संतों, बड़े-बड़े उद्योगपतियों , नायकों, सदी के महानायकों , राजनेताओं की जिस चुनी हुई जमात को अयोध्या में आमंत्रित किया गया था वही देश और सरकारों को चलाती है। दिल्ली में सरकार चाहे जिस भी पार्टी की बने, प्रत्येक प्राण-प्रतिष्ठा में केवल इन लोगों की उपस्थिति ही सत्ता के भगवानों द्वारा स्वीकार की जाती है। मीडिया के कैमरों की आँखों की मदद देश की जनता इसी जमात के वस्त्रों,आभूषणों ,मेक-अप और सजी-धजी मुद्राओं को निहारती हुई अपने सारे दुख-दर्दों को भूल जाती है। सरकार भी जनता को स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि वे तमाम लोग जिनकी ज़रा सी भी हैसियत है इस समय उसका साथ दे रहे हैं। जो समारोह में अनुपस्थित हैं उन्हें सरकार अपने साथ नहीं मानती।