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इस बार कोरोना आया तो ‘मोहरा’ बनेगी कांग्रेस?

क्या कोविड संक्रमण की नयी लहर की आशंका से निपटने की तैयारी नहीं है? क्या एक बार फिर ‘तबलीगी जमात’ और निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख मौलाना साद जैसे मोहरों की तलाश की जा रही है? क्या ‘भारत जोड़ो यात्रा’और राहुल गांधी ऐसे ही मोहरे साबित होने वाले हैं? ये सवाल अनायास नहीं उठ रहे हैं। 
24 दिसंबर की चंद महत्वपूर्ण घटनाओं पर नज़र डालें

• हवाई अड्डों पर 2 प्रतिशत यात्रियों की रैंडम कोविड टेस्टिंग शुरू हुई

• चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग और थाईलैंड से आने वाले यात्रियों की आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य करने की घोषणा हुई। (ध्यान दें यह शुरू नहीं हुई, न ऐसी गाइलाइन आयी है।)

• केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और जीवन रक्षक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

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उपरोक्त तथ्यों से एक बात स्पष्ट है कि विदेश से कोविड 19 के नए वैरिएंट नहीं आने देने के लिए अब तक कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं किए गये हैं। जिन देशों से आने वाले यात्रियों की आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य करने की घोषणा हुई है वह भी अब तक शुरू नहीं हुई है। इन देशों में एअरलाइंस बंद करना पहला कदम होना चाहिए था लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकी है। 
प्रदेशों की ओर ‘टोपी ट्रांसफर’: एक बात और स्पष्ट है कि केंद्र सरकार प्रदेश सरकारों की ओर टोपी ट्रांसफर करती दिख रही है। केंद्र सरकार जिम्मेदारियों को प्रदेशों की ओर हस्तांतरित कर रही है। मगर, इसमें भी ईमानदारी का अभाव है। प्रदेशों के लिए ऑक्सीजन का कोटा तय करना केंद्र की जिम्मेदारी रहती है। संकट की घड़ी में मेडिकल ऑक्सीजन का जरूरत के हिसाब से और बुद्धिमत्तापूर्ण वितरण अधिक आवश्यक होता है। एहतियातन स्टॉक बनाए रखने के निर्देश का बुरा असर यह होगा कि जिस प्रदेश को वास्तव में ऑक्सीजन की कमी होगी, उन्हें समय पर गैस सिलेंडर की आपूर्ति नहीं हो सकेगी। 
हम देख चुके हैं कि वैक्सीन की खरीद के मामले में केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकारों को खुला छोड़ दिया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन कंपनियों ने अलग-अलग प्रदेश सरकारों से बातचीत करने से मना कर दिया। तब वापस केंद्र सरकार को वैक्सीन की खरीद अपने हाथ में लेनी पड़ी थी। हालांकि तब राज्य सरकारों को वैक्सीन की खरीद नहीं कर पाने के लिए जिम्मेदार ठहराने की सियासत भी खूब परवान चढ़ी थी।

निजामुद्दीन मरकज अनायास नहीं पहुंचे हैं राहुल

भारत जोड़ो यात्रा के 108वें दिन 24 दिसंबर को तस्वीर यह बन रही है कि एक तरफ कोरोना वायरस के फैलने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार सख्त है तो दूसरी तरफ देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस केंद्र सरकार से सहयोग करने को कतई तैयार नहीं। उल्टे वे कोरोना के संक्रमण बढ़ने की आशंका को मजबूत करने में जुटे हैं।
इसी मायने में यह अनायास घटी घटना नहीं है कि राहुल गांधी निजामुद्दीन ऑलिया की दरगाह पर चादर चढ़ाने पहुंच गये। कांग्रेस की रणनीति दरअसल उस संभावित हमले की काट करने की है जिसकी तैयारी करती बीजेपी सरकार दिख रही है। यही वह निजामुद्दीन मरकज है जहां तबलीगी जमात का ग्लोबल सम्मेलन हुआ था। अचानक लागू हुए लॉकडाउन के बाद मरकज में लोग फंस गये थे। बहुत सारे लोग अपने-अपने तरीके से देश के अलग-अलग हिस्सों  अपने-अपने ठिकानों की ओर लौटने में सफल भी रहे थे। जब अंदर अधिक संख्या में लोग बीमार होने लगे तो मामला सामने आया। फिर, तबलीगी जमात को कोरोना जेहादी जमात तक करार दिया गया था।
अनुराग ठाकुर की नीयत पर सवालः केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी से जानना चाहा है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के संपर्क में आने के बाद क्या उन्होंने कोविड-19 टेस्ट कराया है? सुक्खू 19 दिसंबर को कोविड पॉजिटिव पाए गये थे जिस कारण उनकी प्रधानमंत्री से प्रस्तावित मुलाकात टल गयी थी। इससे दो दिन पहले 17 दिसंबर को सुक्खू भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे। इस तरह केंद्र सरकार हिमाचल के सीएम के कोरोना संक्रमित होने के उदाहरण से राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा पर सीधे हमले बोल रही है।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के इरादे इसलिए नेक नहीं कहे जा सकते क्योंकि यही सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली स्थित टीवी चैनलों के दफ्तर जाकर इंटरव्यू भी देते हैं लेकिन इस बाबत वे एक बार भी सवाल पूछते नज़र नहीं आते। क्या सुक्खू से मिले टीवी पत्रकारों का कोविड टेस्ट नहीं होना चाहिए? केवल राहुल गांधी और भारत यात्रा से जुड़े लोगों के लिए कोविड पॉजिटिव सुखविंदर सिंह सुक्खू खतरा हैं?चूकि अनुराग ठाकुर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं इसलिए उल्टे उन्हें बताना चाहिए कि सुक्खू जिन पत्रकारों से मिले उनका कोविड टेस्ट हुआ या नहीं। और, अगर टेस्ट हुए तो उसके नतीजे क्या रहे? 
सच यह है कि कोविड टेस्टिंग की पॉलिसी के अभाव में देशभर में यह प्रैक्टिस नहीं है। स्वयं केंद्र सरकार जवाबदेह है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू अगर कोविड पॉजिटिव पाए गये हैं तो उनसे मिलने वाले लोगों की चेन की वह पहचान करे और आवश्यक टेस्ट कराएं।
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ऐसी आशंका है कि भारत जोड़ो यात्रा के लोगों की कोविड टेस्टिंग तेजी से होगी। अगर कोविड पॉजिटिव आंकड़े अधिक संख्या में मिले तो एक बार फिर इसे इसी रूप में प्रचारित किया जाएगा कि विगत एक हफ्ते में, एक पखवारे में या फिर एक महीने में देश में नये कोविड मरीजों की संख्या इतनी है और इनमें से इतना बड़ा हिस्सा भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े लोगों का है। इस तरह भारत जोड़ो यात्रा को तबलीगी जमात की तर्ज पर ‘कोरोना बम’बताकर बदनाम किया जा सकता है। चूकि राहुल गांधी और कांग्रेस ऐसी आशंका को समझ रहे हैं इसलिए ऐसी किसी साजिश को बेपर्द करने के लिहाज से निजामुद्दीन मरकज की यात्रा जानबूझकर तय की गयी है। बात साफ है कि अतीत के उदाहरण से ही वर्तमान संकट का मुकाबला किया जा सकता है।

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क़मर वहीद नक़वी
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