हो यह रहा है कि 45 दिनों की विफलताओं का ठीकरा फोड़ने के लिए कमज़ोर माथों की तलाश की जा रही है और इस काम में मदद के लिए चापलूसों की एक बड़ी ‘जमात’ भी जुटी हुई है। मुख्यमंत्री अगर कोरोना संकट के लिए तीन सप्ताह पहले ही बिदा हो चुकी कमलनाथ सरकार को ही दोषी ठहरा रहे हैं तो शिवराज सिंह की चिंता को समझा जा सकता है।
सवाल यह है कि मध्य प्रदेश में हाल-फ़िलहाल जो कुछ भी चल रहा है उसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए : नागरिकों को? तब्लीग़ी जमात को? समूची मुसलिम आबादी को? या फिर प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक-प्रशासनिक अस्थिरता-अक्षमता को?
कोई भी इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है कि संक्रमण की रोकथाम करने अथवा आम जनता को राहत और राहत सामग्री उपलब्ध कराने के काम में उजागर हो रही कमियों और अक्षमताओं के लिए क्या किसी और को नहीं बल्कि सरकार को ही ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए?