माननीय जज महोदयों!मैं यह पत्र सम्मान और पीड़ा के साथ लिख रहा हूँ। मैं यह एक इतिहासकार और सामान्य नागरिक की हैसियत से लिख रहा हूँ, इन दोनों ही रूपों में मैं सर्वोच्च न्यायलय के कामकाज के प्रति लोगों के घटते विश्वास से चिंतित हूँ।