भारतीय निर्वाचन आयोग ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया जिसे सुनकर विज्ञान भी शर्मा जाए और गणित भी आत्महत्या कर ले! उन्होंने कहा—अगर हमें 1 लाख मतदान केंद्रों की CCTV फुटेज देखनी पड़े, तो इसमें 273 साल लगेंगे। जी हाँ, 273 साल! उन्होंने यही कहा। मतलब आज से शुरू करें, तो शायद 2298 में जाकर आखिरी क्लिप देखी जाएगी—अगर तब तक पृथ्वी बची रही। चुनाव आयोग ये जवाब उन राहुल गांधी को दे रहा है, जिनके पिता व पूर्व प्रधानमंत्री शहीद राजीव गांधी ने देश में कम्प्यूटर क्रांति की शुरुआत की थी। यह जवाब मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया और भारत की टेक्नोलॉजिकल क्षमता का वैश्विक अपमान भी है।
ECI विवाद: 273 साल छोड़ो, 273 घंटे भी नहीं लगेंगे– आप डाटा तो दीजिये
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- 13 Aug, 2025

273 साल लगने की बात छोड़िए, अगर सही डाटा मिल जाए तो 273 घंटे में काम हो सकता है। यह बयान सिस्टम में पारदर्शिता और डाटा की उपलब्धता पर जोर देता है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी कहा था कि इतना डेटा देखने में 3600 साल लग जाएंगे। अरे भाई, कौन से युग में जी रहे हो। पर क्या वाकई इतने साल लगेंगे? क्या देश अभी भी डायल-अप इंटरनेट के दौर में है? या बैलगाड़ी युग में? क्या आपको लगता है कि राहुल गांधी लाखों फुटेज लेंस वाले चश्मे से देखेंगे?
न 3600 साल और न 273 साल - 273 घंटे भी नहीं लगेंगे! राहुल गांधी संपूर्ण विपक्ष के नेता हैं, जिनकी तादाद लोकसभा में एनडीए से कुछ ही कम है। वे डेटा मांग रहे हैं, तो इनकार क्यों? क्या डेटा में कुछ ऐसा है, जो सामने आ गया तो हंगामा मच जाएगा?
पहले समझते हैं कि मामला क्या है।