loader

हैदराबाद चुनाव: क्या भारत में दर्जनों पाकिस्तान?

25-30 साल बाद क्या देश के अंदर ही दर्जनों मुसलिम भारतों की माँग खड़ी नहीं हो जाएगी? देश के इन दर्जनों टुकड़ों की घंटियाँ मुझे आज हैदराबाद से सुनाई पड़ रही हैं। इस चिंता को लव-जिहाद और नागरिकता संशोधन जैसे अपरिपक्व क़ानूनों ने ज़्यादा गहरा कर दिया है। भारत को यदि हमें सबल और अटूट बनाए रखना है तो उसे सांप्रदायिकता से मुक्त रखना पड़ेगा।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

हैदराबाद के नगर-निगम चुनाव और उसके परिणामों की राष्ट्रीय स्तर पर विवेचना हो रही है लेकिन मुझे इस स्थानीय बिल में से एक अंतरराष्ट्रीय साँप निकलता दिखाई पड़ रहा है। यह स्थानीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय चुनाव साबित हो सकता है। यह एक भारत को कई भारत बनानेवाली घटना बन सकता है। मोहम्मद अली जिन्ना ने तो सिर्फ़ एक पाकिस्तान खड़ा किया था लेकिन अब भारत में दर्जनों पाकिस्तान उठ खड़े हो सकते हैं। बीजेपी के नेता ख़ुशी मना रहे हैं कि उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की मुसलिम एकता पार्टी के मुक़ाबले ज़्यादा सीटें जीत ली हैं। पिछले चुनाव के मुक़ाबले इस बार की जीत 12 गुनी हो गई है। 4 से 48 हो गई है।

ख़ास ख़बरें

बीजेपी इस प्रचंड विजय पर अपना सीना फुलाए, यह स्वाभाविक है। इसे वह पूर्ण दक्षिण-विजय का शुभारंभ मान रही है। इस अपूर्व विजय का श्रेय सभी बीजेपी नेता अपने महान नेता नरेंद्र मोदी को दे रहे हैं। इसके अलावा वे किसी को दे भी नहीं सकते। लेकिन इसका श्रेय मैं ओवैसी को भी देता हूँ। मोदी और ओवैसी ने हैदराबाद के मतदाताओं के बीच हिंदू—मुसलमान की दीवार खड़ी कर दी है। ओवैसी की पार्टी ने सिद्ध किया है कि वह बीजेपी से भी अधिक मज़बूत है। 

ओवैसी की पार्टी ने पिछली बार 60 सीटें लड़ी थीं और 44 सीटें जीती थीं। इस बार उसने 51 सीटें लड़ीं और फिर भी वह 44 सीटें जीतीं जबकि भाजपा ने 149 सीटें लड़ीं थी। ओवैसी की पार्टी सिर्फ 6 सीटें हारी जबकि बीजेपी 101 सीटें हार गई। दूसरे शब्दों में हैदराबाद का चुनाव का असली महाविजेता ओवैसी हैं। ओवैसी ने बिहार के चुनाव में भी अपना जलवा दिखा दिया था। 

बिहार और हैदराबाद में कांग्रेस का सफाया किस बात का सूचक है? क्या इस बात का नहीं कि सारे मुसलिम वोट अब ओवैसी-पार्टी की तरफ़ खिंचे चले जा रहे हैं? क्या ओवैसी की पार्टी जिन्ना, लियाकत अली और खलीकुज्जमान की मुसलिम लीग नहीं बनती जा रही है?

मुसलिम लीग ने भी 1906 में पैदा होने के वक़्त भारत-विभाजन की माँग नहीं की थी। जिन्ना के ज़माने में वह भारत के अंदर ही मुसलमानों के लिए जगह-जगह स्वायत्त इलाक़े माँगने लगी थी। ऐसे मुसलिम-बहुल इलाक़े 1947 में तो थे। जैसे पंजाबी, सिंधी, बलूच, पठान और बंगाली। वे पाकिस्तान बन गए। अलग हो गए। अब किस इलाक़े को आप अलग करेंगे? 

वीडियो चर्चा में देखिए, हैदराबाद चुनाव के ख़तरनाक संकेत!

25-30 साल बाद क्या देश के अंदर ही दर्जनों मुसलिम भारतों की माँग खड़ी नहीं हो जाएगी? देश के इन दर्जनों टुकड़ों की घंटियाँ मुझे आज हैदराबाद से सुनाई पड़ रही हैं। अप्रत्याशित विजय के शंखनाद में बीजेपी के नेताओं को ये वीभत्स घंटियाँ चाहे सुनाई न पड़ें लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा समस्त राष्ट्रवादी और राष्ट्रप्रेमी चिंतकों के लिए यह चिंता का विषय है। इस चिंता को लव-जिहाद और नागरिकता संशोधन जैसे अपरिपक्व क़ानूनों ने ज़्यादा गहरा कर दिया है। भारत को यदि हमें सबल और अटूट बनाए रखना है तो उसे सांप्रदायिकता से मुक्त रखना पड़ेगा।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें