कुवैती प्रधानमंत्री शेख अल-सबाह का कहना है कि कुवैत में विदेशी 30 प्रतिशत रहें और 70 प्रतिशत कुवैती! यह आदर्श स्थिति होगी। यदि इसी सोच के आधार पर कुवैती संसद ने क़ानून बना दिया तो 7-8 लाख भारतीयों को अपनी नौकरियाँ छोड़कर भारत आना पड़ेगा। ये भारतीय अभी अकेले कुवैत से लगभग 5 बिलियन डाॅलर हर साल भारत भिजवा देते हैं।
यदि कुवैत ने सख़्त निर्णय कर दिया तो उसे देखकर बहरीन, यूएई, सउदी अरब, ओमान, कतर आदि देश भी वैसी ही घोषणा कर सकते हैं। यदि ऐसा हो गया तो 40-50 लाख लोगों को भारत में नौकरियाँ कैसे मिलेंगी और कुछ को मिल भी गईं तो उनको उतने पैसे कौन दे पाएगा?