प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ, जनरल मुशर्रफ तथा पाकिस्तान के अन्य कई राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों से मैं पूछता था कि क्या आप कश्मीरियों को तीसरा विकल्प देने यानी आजादी के लिए सहमत हैं तो वे कहते थे कि इसकी ज़रूरत ही नहीं है। सिर्फ दो ही विकल्प हैं। या तो वह पाकिस्तान में मिले या भारत में! क्या इमरान ख़ान तीसरे विकल्प के लिए तैयार हैं? यदि नहीं तो फिर जनमत-संग्रह की बात बेमतलब है।
कश्मीर निश्चय ही एक समस्या है। इसे बातचीत से हल किया जा सकता है। अटलजी, डाॅ. मनमोहन सिंह और जनरल मुशर्रफ ने चार-सूत्री रास्ता निकाला था। इमरान उसे लेकर ही आगे क्यों नहीं बढ़ते?