हाथरस केस में जिस ‘जस्टिस फ़ॉर हाथरस विक्टिम.कॉर्र्ड.को’ के ज़रिए ‘दंगा फैलाने की साज़िश का पर्दाफाश’ हुआ वह 30 सितंबर को बनी थी। अगर वह ज़ीरो आवर में बनी हुई मान ली जाए, तब भी उसके बनने के ढाई घंटे बाद ही पीड़िता का हाथरस में अंतिम संस्कार कर दिया गया। महज ढाई घंटे में इस वेबसाइट ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि यूपी सरकार को कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों से दंगे का ख़तरा पैदा हो गया और उसने बगैर परिवार को लाश सौंपे उसका अंतिम संस्कार कर दिया। कम से कम सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार के दिए बयान के मतलब यही हैं।
हाथरस: एक वेबसाइट बनने के ढाई घंटे में शव जलाने को मजबूर हो गयी योगी सरकार!
- विचार
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- 8 Oct, 2020

हाथरस केस में जिस ‘जस्टिस फ़ॉर हाथरस विक्टिम.कॉर्र्ड.को’ के ज़रिए ‘दंगा फैलाने की साज़िश का पर्दाफाश’ हुआ वह 30 सितंबर को बनी थी। वेबसाइट ने महज ढाई घंटे में ऐसी क्या स्थिति पैदा कर दी कि शव को आधी रात को जलाना पड़ा?
हाथरस केस में जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम.कार्र्ड.को (https://justiceforhathrasvictim.carrd.co/) नाम की वेबसाइट के बारे में एक खुलासा लेकर यूपी सरकार और उसके हवाले से मीडिया अचानक 5 अक्टूबर को सामने आ गये। जातीय दंगा फैलाने, पीएम मोदी और सीएम योगी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने, समरसता ख़त्म करने जैसी अंतरराष्ट्रीय साज़िश के खुलासे का दावा किया गया। पीएफ़आई जैसे संगठन का हाथ होने, विदेशी फ़ंडिंग जैसी थ्योरी भी जोड़ दी गयी। हालाँकि तब तक बताने के लिए पुलिस के पास तथ्य नहीं थे सिर्फ़ थ्योरी थी।