यह वह जगह है जो गुरुवार को दिन के एक बजकर अड़तीस मिनट तक हज़ारों लोगों की चहल-पहल से आबाद थी। हम सोचते होंगे कि एक बड़ी जगह के दो मिनटों में इस तरह श्मशान में बदल जाने बाद कहीं ठहरते तो कहीं रुकते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में क्या विचार उठ रहे होंगे? वे कुछ तो ज़रूर सोच रहे होंगे! ग्यारह सालों की दिल्ली में हुकूमत के दौरान इतनी बड़ी राष्ट्रीय दुर्घटना पहली बार! वह भी अपने ही उस गृह राज्य में जहां वे बारह साल मुख्यमंत्री रहे! 268 मौतें एक साथ, दो मिनट में! हज़ार डिग्री के तापमान में! किसी भी श्मशान में शरीर के राख में बदलते वक्त इतना तापमान नहीं होता!