कोविड-19 ने बड़े-बड़ों की ज़िंदगी में भूचाल ला दिया। मार्च में जो तबाही शुरू हुई वो अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही। अब भले ही ऑक्सीजन की मारा-मारी कम हुई है लेकिन मौतों का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है। ऊपर से संक्रमण अब छोटे नगरों और गांवों तक पहुँच गया है। इस सबके बावजूद सभी सरकारें एक अलग ही उन्माद में हैं। ना तो वैक्सीन का ठिकाना है ना सही से जांच हो रही है। खास तौर पर भारत सरकार का रवैया लोगों की समझ से परे है। 

जनता ने सरकार से आस छोड़ कर खुद के भरोसे कोविड में नैयापार लगाने की कोशिश की। ‘माँझी’ फिल्म के डायलॉग को अगर थोड़ा सा बदल दें तो एकदम सही बैठता है- “सरकार के भरोसे मत बैठो, क्या पता सरकार तुम्हारे भरोसे बैठी हो”।