मोदी सरकार ने जिन शब्दों को संसद में असंसदीय क़रार दिया है, क्या उन शब्दों में कुछ भी आपत्तिजनक है या फिर उन शब्दों से कोई डर है? क्या हो जब इन शब्दों के बदले दूसरे शब्द इस्तेमाल किए जाने लगें?
• अक्षम- अब कोई सदन में यह नहीं कह सकता कि मोदी सरकार अक्षम है।• लॉलीपॉप- चुनाव के समय हजारों करोड़ के पैकेज का एलान प्रदेश-प्रदेश घूमकर प्रधानमंत्री करते रहें लेकिन इसे सांसद लॉलीपॉप नहीं बोल सकेंगे।• पिट्ठू- उन सांसदों को भी पिट्ठू नहीं बोला जा सकेगा जिनके लिए तीन क़ानून बने तो बजाना है तालियां, हटे तो बजाना है तालियां।• दोहरा चरित्र- सरकार के दोहरे चरित्र पर कोई सवाल नहीं उठेगा भले ही ऑक्सीजन की कमी से मौत होती रहे और सरकार कहे कि कोई मौत नहीं हुई है।
• निकम्मा- सांसद अब नारे नहीं लगा सकते कि सरकार निकम्मी है या कि प्रधानमंत्री निकम्मे हैं।• नौटंकी- सांसद नहीं बोल सकेंगे कि पैगंबर का अपमान करने वाली नूपुर शर्मा को बीजेपी से निकालना नौटंकी है क्योंकि सरकार उन्हें गिरफ्तारी से बचाने का प्रयास लगातार कर रही है।• ढिंढोरा पीटना- एक ही घोषणा को पैकेज के फॉर्मेट में लगातार ढिंढोरा पीटती रहेगी सरकार लेकिन सांसद ढिंढोरा पीटना का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।• बहरी सरकार- बहरी सरकार को सुनाने के लिए भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था, लेकिन स्वतंत्र भारत में लोग शब्द भी नहीं दोहरा सकेंगे- बहरी सरकार।• विनाश पुरुष- विकास पुरुष के दावे बढ़-चढ़ कर किए जाएंगे लेकिन विनाश पुरुष कोई बोल नहीं सकेगा।
• तानाशाही- मानना होगा कि लोकतंत्र है। ख़बरदार कि तानाशाही सरकार बोले!• तानाशाह- लोकतांत्रिक तरीक़े से चुने गये प्रधानमंत्री को तानाशाह नहीं बोल सकते। यही लोकतंत्र है।• अराजकतावादी- दिल्ली में दंगे होते रहेंगे, पुलिस किंकर्त्तव्यविमूढ़ रहेगी लेकिन कह नहीं सकते कि सरकार अराजकतावादी तत्वों को बढ़ावा दे रही है।• गद्दार- गद्दार शब्द का उद्घोष नहीं कर सकते लेकिन देशद्रोह के आरोप में मामूली बातों पर भी जेल में बंद किया जाता रहेगा।
• गिरगिट- गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला मुहावरा आप संसद में नहीं बोल सकते। क्या गिरगिट का अपमान हो जाएगा?• असत्य- सांसद नहीं कह सकते कि मंत्रीजी असत्य बोल रहे हैं।• अहंकार- बोलना मना है कि अहंकार में डूबी है सरकार।• काला दिन- पुलवामा में हमला हो जाए लेकिन संसद में काला दिन नहीं बोल सकते।• खरीद फरोख्त- सांसदों-विधायकों की खरीद-फरोख्त होती रहे लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा क्योंकि इससे गरिमा गिरेगी।• दंगा- दंगा शब्द बगैर बोले देश के अलग-अलग हिस्सों में होने वाले दंगों पर बोलने की चुनौती रहेगी सत्ता और विपक्ष पर।• दलाल- दलाल को अंग्रेजी में एजेंट बोल लीजिए कबूल है लेकिन दलाल नहीं बोल सकते।
• दादागिरी- लोकतंत्र में दादागिरी का कोई स्थान नहीं है। होती है तो होने दो, लेकिन बोलना मना है।• बेचारा- विश्वगुरु भारत में कोई बेचारा नहीं है। कोई है तो उसका जिक्र नहीं करने की बेचारगी रहेगी आपकी।• संवेदनहीन- लोकतांत्रिक सरकार संवेदनशील होती है तो सदन में संवेदनहीन शब्द का इस्तेमाल क्यों हो। सांसद संवेदनहीन बने रहें।• सेक्सुअल हरेसमेंट- भले ही तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर सेक्सुअल हरेसमेंट के आरोप लगे हों लेकिन भविष्य में कभी इसकी चर्चा सदन में नहीं होगी।
सवाल यह है कि संसद की गरिमा शब्दों से गिरती है या उसकी गरिमा बढ़ती है? सांसद अपनी भावनाएं शब्दों के ज़रिए ही तो सदन में रखेंगे। अगर इसे भी प्रतिबंधित किया जाएगा तो वे खुद को व्यक्त कैसे करेंगे?