सुप्रीम कोर्ट को आख़िर क्यों कहना पड़ा कि न्यूज़ एंकर नफ़रत फैला रहे हैं? अदालत ने एनबीएसए से क्यों कहा कि आप समाज को बांट रहे हैं, हेट स्पीच देने वाले कितने एंकरों को ऑफ एयर किया?
बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर के द्वारा रामचरित मानस, मनुस्मृति पर दिए गए बयान के बाद उन्हें बर्खास्त करने की माँग की जा रही है। लेकिन जाति व्यवस्था, छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ बात क्यों नहीं होनी चाहिए?
राहुल गांधी के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समाधिस्थल पर जाने के बाद यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वह अपने सिद्धांतों से समझौता कर रहे हैं और क्या राहुल ने अपने वैचारिक आधार को छोड़ दिया है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समाधिस्थल पर जब श्रद्धांजलि दी तो बीजेपी ने सवाल क्यों उठाए? क्या श्रद्धांजलि देकर उन्होंने ग़लती कर दी?
बिहार में जहरीली शराब पीने से मौत के बाद एक बार फिर से नीतीश कुमार के शराबबंदी के फैसले पर वाद-विवाद शुरू हो गया है। तो क्या शराबबंदी से वाक़ई फायदा नहीं है?
एग्जिट पोल के अनुमानों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक एमसीडी और हिमाचल के चुनाव में नहीं चला है। तो क्या यह सिर्फ गुजरात तक ही सिमट कर रह गया है। अगर वाकई ऐसा है तो ऐसा क्यों है?
बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को कांग्रेस नेताओं के द्वारा दी गई गालियों की पैकेजिंग करके गुजरात के लोगों के सामने पेश किया गया है। इन गालियों को सुनाने का मकसद क्या है? नरेंद्र मोदी को गुजरात का बेटा बताते हुए सहानुभूति जुटाना और मतदाताओं का वोट पाना?
राहुल गांधी के द्वारा सावरकर को लेकर दिए गए बयान के बाद विवाद हुआ और महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी में दरार आने की बात उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कही। लेकिन राहुल गांधी भारतीय राजनीति में विचारधारा की लड़ाई को इस हद तक ले जाते हुए दिख रहे हैं कि अगर आप महात्मा गांधी को मानते हैं तो आपको वीडी सावरकर को धिक्कारना होगा।
संजय राउत की जमानत के मामले में पीएमएलए कोर्ट की जांच एजेंसी ईडी को लेकर सख्त टिप्पणी और इसी तरह आजम खान के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद रामपुर सीट पर चुनाव कार्यक्रम रद्द होना, ये दोनों ही मामले बेहद अहम तो हैं ही लेकिन इस सवाल को भी मजबूती से खड़ा करते हैं कि क्या आज़म और संजय राउत को राजनीतिक बदले का शिकार बनाया गया।
ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की घटना के बाद क्या ऐसा लगता है कि इंग्लैंड में लोकतंत्र मजबूत और उदार हो रहा है जबकि भारत का लोकतंत्र कमजोर और लाचार नज़र आ रहा है?
महाराष्ट्र में यशवंत शिन्दे ने खुद को संघ का पूर्व प्रचारक बताते हुए आरएसएस पर गंभीर आरोप क्यों लगाए हैं? आख़िर उन्होंने में हलफनामा में क्या कहा है? जानिए संघ पर ऐसे आरोप क्यों लगते रहे हैं।
नोएडा में करोड़ों रुपये की लागत से बने ट्विन टावर को ढहाने के बाद एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि क्या इन इमारतों को गिराना ही एक विकल्प रह गया था? इन्हें किसी काम में नहीं लाया जा सकता था?
महंगाई, बेरोज़गारी जैसे बड़े मुद्दों पर कांग्रेस ने देशभर में जोरदार प्रदर्शन किया। लेकिन बीजेपी ने इस प्रदर्शन को राम मंदिर शिलान्यास और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की तारीख से क्यों जोड़ दिया?
संसद सत्र के दौरान ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे को ईडी का समन क्या राज्यसभा सांसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन नहीं है? चुनाव आयोग इस पर क्यों मौन है?
प्रधानमंत्री मोदी के 'हर घर तिरंगा' अभियान के बाद विपक्ष ने आरएसएस और इसके पदाधिकारियों को क्यों निशाने पर लिया है? जानिए अब तिरंगा के प्रति संघ का रुख कितना बदला है।
अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने दुनिया में खलबली मचा दी है। श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन की उपस्थिति से क्या ऐसी खलबली मची थी? ऐसे हालात में भारत को क्या करना चाहिए?
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी या एनडीए की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार कौन होंगे, क्या इस सवाल पर संदेह है? तो फिर अमित शाह को या बीजेपी को यह कहने की ज़रूरत क्यों पड़ी?