(अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद अब भारत की धरती पर भी उनका 'स्त्री-विरोधी' रंग चढ़ने लगा है। दिल्ली में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल द्वारा महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से बहिष्कृत करने का विवाद गरमाया तो बिहार इससे अछूता कैसे रह सकता है! वरिष्ठ पत्रकार और टीवी पैनलिस्ट प्रेम कुमार इन दिनों बिहार दौरे पर हैं। उन्होंने राजधानी पटना के विभिन्न कोनों में स्थानीय पत्रकारों से गहन चर्चा की—सदाकत आश्रम से लेकर बेली रोड, डाक बंगला चौराहा, आईटीओ गोलंबर तक। बिहार क्या सोचता है इस 'तालिबानी बैन' को लेकर? क्या मोदी सरकार का मौन 'सरेंडर' है या रणनीतिक चुप्पी?)
तालिबान का 'बैन': बिहार के पत्रकारों की मोदी सरकार पर सवालों की बौछार
- विचार
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- 12 Oct, 2025

अमीर खान मुत्तकी एस जयशंकर
दिल्ली में तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री रोकने पर बिहार के पत्रकारों ने मोदी सरकार से जवाब मांगा। सवाल उठे कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तालिबान की शर्तें कैसे लागू हुईं?
सदाकत आश्रम के प्रांगण से ही यह ख्याल आया कि महिला पत्रकारों के साथ सलूक को लेकर स्थानीय पत्रकारों की राय जाननी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार और एंकर असित नाथ तिवारी मौजूद थे। छेड़ते ही वे सीधे मुद्दे पर उतर पड़े: "भारत में भी तालिबान घुस आया है। पहले आतंकियों से मुठभेड़ होती थी, अब हमारी सरकार आतंकियों की ओर से अपनी ही जनता से ‘मुठभेड़’ कर रही है।" तिवारी ने सवाल दागा—मोदी सरकार तालिबानियों का बचाव क्यों कर रही है? "अचानक तालिबान से इतना प्रेम क्यों हो गया? भारत में दूतावास खोल रहे हैं? अफगानिस्तान का झंडा तक बदल रहे हैं? मोदी सरकार ने भारत की विदेश नीति को घुटनों पर ला दिया है।" उनकी बातों में विदेश नीति की कमजोरी का दर्द साफ झलक रहा था।