बिहार की सियासत का मैदान हमेशा से ही नाटकीय रहा है, लेकिन इस बार का ड्रामा तो बॉलीवुड फिल्मों को भी मात दे गया। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जिन्हें कुछ लोग 'चुनाव का चाणक्य' कहते हैं, अब हंसी का पात्र हो गये हैं। चले थे तेजस्वी को राघोपुर छुड़ाने। जैसे स्मृति ने राहुल को अमेठी छोड़वाया था, ऐसा कहकर। और, खुद स्मृति ईरानी जैसी ‘दिलेरी’ दिखाने से भी पीछे रह गये। क्या इतना था हार का डर कि अब प्रशांत किशोर ने चुनाव तक लड़ने से मना कर दिया है?