बिहार की सियासत का मैदान हमेशा से ही नाटकीय रहा है, लेकिन इस बार का ड्रामा तो बॉलीवुड फिल्मों को भी मात दे गया। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर, जिन्हें कुछ लोग 'चुनाव का चाणक्य' कहते हैं, अब हंसी का पात्र हो गये हैं। चले थे तेजस्वी को राघोपुर छुड़ाने। जैसे स्मृति ने राहुल को अमेठी छोड़वाया था, ऐसा कहकर। और, खुद स्मृति ईरानी जैसी ‘दिलेरी’ दिखाने से भी पीछे रह गये। क्या इतना था हार का डर कि अब प्रशांत किशोर ने चुनाव तक लड़ने से मना कर दिया है?
बिहार: चुनाव से क्यों ‘भाग निकले’ प्रशांत किशोर?
- बिहार
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- 16 Oct, 2025

तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर के अचानक चुनाव लड़ने से पीछे हटने से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। जनसुराज अभियान की दिशा अब क्या होगी और उनके कदम का क्या असर पड़ेगा?
11 अक्टूबर की ही तो बात है। प्रशांत किशोर ने ठहाका लगाते हुए कहा था, ‘राहुल गांधी का जो हश्र हुआ, वही तेजस्वी यादव का होगा।’ इशारा साफ था– अमेठी से राहुल की हार, वायनाड का सफर और फिर रायबरेली की वापसी। कहने का मतलब यही था कि तेजस्वी को भी अपना गढ़ राघोपुर छोड़कर कहीं भागना पड़ेगा। लेकिन हाय री किस्मत! राघोपुर जाकर प्रशांत को खुद ही लग गया कि यहां उनकी 'दाल' नहीं गलेगी। नतीजा? मैदान छोड़ दिया, चुनाव लड़ने का इरादा ठंडा कर दिया। स्मृति ईरानी की तरह 'अपने दुश्मन को हराने वाली/वाला' बनने का सपना भी चूर-चूर!