झारखंड में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद कहा जा रहा है कि पार्टी का नेतृत्व अपनी राज्य सरकारों के कामकाज को लेकर बेहद गंभीर हो गया है। यह भी कहा गया है कि पार्टी जल्दी ही अपनी सरकारों और मुख्यमंत्रियों के कामकाज और व्यवहार की समीक्षा करेगी और जो राज्य इसमें खरे नहीं उतरेंगे, वहां पर सत्ता से लेकर संगठन तक ज़रूरी बदलाव भी किए जाएंगे। लेकिन क्या उन सात राज्यों में जहां विगत डेढ़ साल में बीजेपी ने सत्ता गंवाई है, वहां यह सब नहीं किया गया था?

पिछले डेढ़ साल में बीजेपी ने सात राज्यों में सत्ता गंवाई है लेकिन पार्टी नेतृत्व इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है कि आख़िर ऐसा क्यों हुआ है?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, जिन्हें मीडिया का एक वर्ग दिन-रात चाणक्य कहकर उनकी शान में कसीदे पढ़ता रहता है, ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा या झारखंड में वे दांव-पेच नहीं खेले होंगे जिनके लिए वह प्रसिद्द हैं? दरअसल, बीजेपी की परेशानी कुछ और है और उनका केंद्रीय नेतृत्व इलाज कुछ और कर रहा है। एक-एक कर सात प्रदेशों में बीजेपी की सरकारें चली गयीं लेकिन पार्टी नेतृत्व जिसका केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह ही हैं, इस बात को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा है कि उनकी हार का कारण स्थानीय मुद्दों या राज्यों के मुद्दों की अनदेखी है।