जब मैंने अखबारों में पढ़ा कि गोरखपुर के चौरी-चौरा कांड का शताब्दी समारोह मनाया जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका उदघाटन करेंगे तो मेरा मन कौतूहल से भर गया। मैंने सोचा कि 4 फरवरी 1922 यानी ठीक सौ साल पहले चौरी-चौरा नामक गांव की भयंकर दुर्घटना का मोदी हवाला देंगे और किसानों से कहेंगे कि जैसे गांधीजी ने उस घटना के कारण अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था, वैसे ही किसान भी अपना आंदोलन खत्म करें, क्योंकि लाल किले पर सांप्रदायिक झंडा फहराने की घटना से सारा देश मर्माहत हुआ है। लेकिन हुआ कुछ उल्टा ही।
चौरी-चौरा कांड पर शताब्दी समारोह की शुरुआत क्यों?
- विचार
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- 6 Feb, 2021

मोदी ने उन प्रदर्शनकारियों की तारीफ के पुल बांधे, जिन्होंने 22 भारतीय पुलिसवालों को जिंदा जलाकर मार डाला था। इस जघन्य अपराध के कारण 19 आदमियों को फांसी हुई थी और लगभग 100 लोगों को उम्र-कैद। गांधीजी ने इस भीड़ की हिंसा की कड़ी निंदा की थी लेकिन मोदी ने इन्हीं लोगों की याद में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए शताब्दी-समारोह की शुरुआत कर दी। अपने पूरे भाषण में मोदी ने गांधीजी का एक बार नाम तक नहीं लिया।
मोदी ने उन प्रदर्शनकारियों की तारीफ के पुल बांधे, जिन्होंने 22 भारतीय पुलिसवालों को जिंदा जलाकर मार डाला था। इस जघन्य अपराध के कारण 19 आदमियों को फांसी हुई थी और लगभग 100 लोगों को उम्र-कैद।