वे मुसलमान हैं। इस समय सबसे सॉफ्ट टारगेट। उन्हें पागलों की तरह व्यवहार करने पर मजबूर करना होगा तभी उनके दमन को जायज़ ठहराया जा सकता है। जमात-जमात का शोर मचा कर आख़िरकार मीडिया ने ऐसी स्थिति बना दी कि लॉकडाउन के कठिन समय में भी मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार शुरू हो चुका है।
एक सुनियोजित झूठ को इतनी बार पूछा जा रहा है कि मुसलमान बैकफुट पर आ गए हैं। सच्चाई तो यह है कि यह सब एक रणनीति के तहत हो रहा है या किया जा रहा है।