जो असमानता यानि वर्ण व्यवस्था के समर्थक और समानता के विराधी हैं उन्होंने समान नागरिक संहिता बनाने की पहल की है। इसका छिपा मकसद मुसलमानों को भयभीत करना, उनका दानवीकरण करना उनको चिढ़ाना और अपने अंधभक्तों को खुश करना है लेकिन उनके इस क़दम से मुसलमानों का बजाये नुक़सान होने के फ़ायदा होने जा रहा है। जिस तरह तुरंत तीन तलाक देने पर पाबंदी लगाने से मुसलिम पुरुषों की उस प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है जिसके तहत वह फोन पर, व्हाटसअप और ईमेल पर तीन तलाक दे रहे थे उनसे मुसलिम महिलाओं को छुटकारा मिला है।
समान नागरिक संहिता का स्वागत करें मुसलमान
- विचार
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- 2 May, 2022


समान नागरिक संहिता को लेकर देशभर में चर्चा जोरों पर है। क्या इससे मुसलमानों को किसी तरह का नुकसान होगा या फिर ऐसा होने की बात सिर्फ झूठ है।
गोश्त की दुकानों के लिए नियम बनाने से कसाईयों की दुकानों में टाईल्स लग गई हैं और वहां फ्रिज आ गया है यानि अस्वास्थ्यकर गोश्त से निजात मिली है और इससे भी मुसलमानों को फ़ायदा हुआ है।

























