मात्र सात मिनट में पास हुए जिस ऑनलाइन गेमिंग बिल की चर्चा कहीं नहीं हुई और राष्ट्रपति ने भी दस्तखत करके जिसे कानून बना दिया, उसका असर हर कहीं दिखने लगा है। इस बिल को ‘ढक’ लेने वाला पीएम-सीएम करप्शन बिल तो अपने हिसाब से राजनैतिक हंगामा कराके जेपीसी में चला गया है और विपक्ष के खुले विरोध से अटक सा गया है क्योंकि संविधान संशोधन वाला यह कानून अकेले एनडीए से पास नहीं हो पाएगा। उसकी चर्चा भी मुरझा गई है, लेकिन 3.9 अरब डॉलर के धंधे और हजारों करोड़ के विज्ञापन के धंधे के चलते गेमिंग कानून में बदलाव का असर हर कहीं दिखने लगा है।
क़ानून बनने से ऑनलाइन गेमिंग ख़त्म हो जाएगी या यह नये रूप में आ जाएगी?
- विचार
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- 26 Aug, 2025

क़ानून बनने ऑनलाइन गेमिंग ख़त्म होगा या नये रूप में आ जाएगा?
भारत में ऑनलाइन गेमिंग पर बने नए क़ानून से बड़ा सवाल—क्या यह इंडस्ट्री पूरी तरह ख़त्म हो जाएगी या नए नियमों के साथ नए रूप में सामने आएगी? जानें विशेषज्ञों की राय और संभावित असर।
सरकारी आमदनी भी 22 हजार करोड़ रुपए कम होगी और जब इस खेल में गैर महानगरी लोगों का हिस्सा दो तिहाई से ज्यादा होगा तो उनकी बेचैनी समझी जा सकती है। ऊपर से भी भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के फ्रंट से अगर ‘ड्रीम 11’ का बिल्ला उतर जाए तो चर्चा कितनी होगी यह समझा जा सकता है क्योंकि इसे देश में विज्ञापन का सबसे पहला और महंगा स्थान मानते हैं। जर्सी वाले इस विज्ञापन के लिए यह गेमिंग कंपनी क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को 358 करोड़ रुपए देती थी और इसके विज्ञापन पर लगभग तीन हजार करोड़ खर्च होते थे।