नीचे दो तसवीरें लगा रहा हूँ। एक साल 2009 की है, एक 2022 की। पहली तसवीर लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के शपथ समारोह की है। मोदी के आगे 145 डिग्री तक झुक आए शख़्स का नाम है नीतीश कुमार। पढ़िए, दोनों के रिश्तों पर यह टिप्पणी।
नीतीश और मोदी का रिश्ता: सब वक़्त-वक़्त की बात है
- विचार
- |
- |
- 26 Mar, 2022

नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच बीते सालों में बहुत कुछ घटा है। योगी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नीतीश की सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तसवीर ने दोनों नेताओं के रिश्तों पर चर्चा छेड़ दी है।
जून, 2013 का वक्त था। नरेंद्र मोदी को साल 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया। तब इन्हीं नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद नीतीश ने खुद को धार्मिक तटस्थता के पैरोकार के रूप में पेश किया। इधर, बिहार बीजेपी ने महीनों तैयारी कर मोदी की पहली रैली करवाई। नाम था- हुंकार रैली। बड़े-बड़े पत्रकार दिल्ली से बिहार निर्यात किए गए। पूरे पटना को मोदी के पोस्टरों से पाट दिया गया। इस रैली में मोदी ने नीतीश को ‘मौकापरस्त’ और ‘बगुलाभगत’ तक कहा।
साल 2014 के चुनावों पर लिखी अपनी एक किताब में राजदीप सरदेसाई बताते हैं- कुछ साल पहले एक रात्रि भोज पर मैंने नीतीश से पूछा था कि मोदी के बारे में ऐसा क्या था कि वह इतना आहत हो गए। इस पर नीतीश का जवाब था, “यह विचारधारा की लड़ाई है...यह देश सेक्युलर है और सेक्युलर रहेगा...कुछ लोगों को यह पता होना चाहिए।”