अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने और जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बाँटने के फ़ैसले के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। यह आशंका जतायी जा रही है कि वह घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने की बड़ी साज़िश रच सकता है। पाकिस्तान बुरी तरह से छटपटा रहा है लेकिन सवाल यह है कि क्या वह ऐसा करने में सक्षम है? क्या उसके पास इतनी ताक़त बची है कि वह 1990 और 2000 के दशक की तरह से आतंकवादियों को शह दे सके? इसमें दो राय नहीं है कि वह चुप नहीं बैठेगा। कुछ न कुछ ख़ुराफ़ात ज़रूर करेगा। पर क्या वह पहले की तरह ही कारगर होगा?
पाकिस्तान को कभी भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उसकी शुरुआती प्रतिक्रिया उसकी बौखलाहट को दर्शाता है। उसने मोदी सरकार के फ़ैसले के बाद आनन-फ़ानन में भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम करने का फ़ैसला किया। पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त को वापस भेज दिया और भारत में अपने उच्चायुक्त की नियुक्ति को रोक दिया। साथ ही भारत के साथ व्यापार संबंध को भी सस्पेंड करने का फ़ैसला किया है। उसने यह भी धमकी दी है कि भारत के साथ अतीत में हुए द्विपक्षीय क़रारों की भी समीक्षा करेगा। वह पूरे मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने की चेतावनी भी दे चुका है। वह यह भी कह रहा है कि पंद्रह अगस्त को काले दिवस के तौर पर मनायेगा।























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