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सुरक्षा परिषद: पाकिस्तान ने इस बार तो झूठ बोलने की हद पार कर दी

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक के बारे में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने किस आधार पर दावा किया है कि उन्होंने सुरक्षा परिषद में भारत के ख़िलाफ़ भाषण दिया है? 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का पाकिस्तान सदस्य है ही नहीं और ग़ैर-सदस्य उसकी बैठक में जा ही नहीं सकता। क्या इस झूठ से इमरान ख़ान सरकार की भद्द नहीं पीटी है?
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने एक ऐसा पैंतरा मारा है, जिसे देखकर उन पर तरस आता है। उन्होंने पाकिस्तान की इमरान सरकार की भद्द पीट कर रख दी है। अकरम ने दावा किया है कि उन्होंने सुरक्षा परिषद में भाषण देकर ‘भारतीय आतंकवाद’ की निंदा की है। अकरम से कोई पूछे कि सुरक्षा परिषद में आपको घुसने किसने दिया? 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का पाकिस्तान सदस्य है ही नहीं। ग़ैर-सदस्य उसकी बैठक में जा ही नहीं सकता। 

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने एक बैठक बुलाई थी, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के बारे में। इस बैठक का एक फ़ोटो जर्मन दूतावास ने जारी किया है, जिसमें पाकिस्तान का प्रतिनिधि कहीं नहीं है। फिर भी पाकिस्तानी दूतावास ने जो बयान जारी किया है, वह झूठों का ऐसा पुलिंदा है, जिस पर ख़ुद पाकिस्तानी लोग विश्वास नहीं करते। 

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पहला, अकरम ने दावा किया है कि अल-क़ायदा गिरोह का ख़ात्मा और उसामा बिन लादेन का सफाया पाकिस्तान ने किया है। सबको पता है कि उसामा को अमेरिका ने मारा था और इमरान उसे ‘शहीद उसामा’ कहते रहे हैं। दूसरा, यह भी मनगढ़ंत गप्प है कि भारत ने कुछ आतंकवादियों को भाड़े पर ले रखा है, जो पाकिस्तान में हिंसा फैला रहे हैं। 

सच्चाई तो यह है पाकिस्तान अपने आतंकवादियों से भारत से भी ज़्यादा तंग है। ख़ुद इमरान ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने भाषण में कहा था कि उनके देश में 40 से 50 हज़ार दहशतगर्द सक्रिय हैं। तीसरा, पाकिस्तान ने अपनी नीति को भारत की नीति बता दिया। भारत सीमा-पार आतंकवाद क्यों फैलाएगा। चौथा, 1267 प्रस्ताव की प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में भारतीयों के नाम भी हैं, यह सरासर झूठ है। उसमें एक भी भारतीय का नाम नहीं है।

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पाँचवाँ, अकरम का यह कहना भी ग़लत है कि भारत में अल्पसंख्यकों का जीना हराम है। वास्तव में 1947 में पाकिस्तान में 23 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे जबकि अब 3 प्रतिशत रह गए हैं। भारत में अल्पसंख्यक लोग कई बार राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक बने हैं। मुनीर अकरम ने भारत के विरुद्ध ये बेबुनियाद आरोप लगाकर इमरान सरकार की जगहँसाई करवा दी है। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को चाहिए कि वे मुनीर अकरम को इस्लामाबाद बुलाकर डाँट लगाएँ। इन्हीं ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयानों के कारण इसलामी देशों में भी पाकिस्तान की साख गिरती जा रही है।
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डॉ. वेद प्रताप वैदिक
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