एक बार फिर उग्रवाद ने कश्मीर को लपेट लिया। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सीआरपीएफ़ की टुकड़ी पर आत्मघाती हमले ने फिर से साबित कर दिया कि भारत आतंकवादियों के लिए सॉफ़्ट टार्गेट है। मीडिया की ख़बरों के अनुसार भारी मात्रा में विस्फोटक से लैस गाड़ी को एक उग्रवादी ने पुलिस बल के काफ़िले में टक्कर मार दी। हमले के तुरंत बाद राजनेताओं के बयान भविष्य के लिए स्पष्ट संकेत हैं। प्रधानमंत्री हों, सत्ता दल हो, विपक्ष हो, सभी ने संवेदनाएँ व्यक्त की। इस बीच इस बात का पुख्ता प्रमाण मिला है कि हमले की खुफ़िया पूर्व सूचना थी। प्रश्न है कि पूर्व सूचना के बावजूद यह दुष्कृत्य सरंजाम कैसे हुआ? देश की आंतरिक सुरक्षा-व्यवस्था क्या कर रही थी? स्पष्ट है कि निरीह जनता बेचारी पीड़ा से कराह रही है और राज्यसत्ता ने उन्हें रामभरोसे छोड़ दिया है।
‘न हिन्दू मरा है न मुसलमान मरा है, सत्ता है सुरक्षित पर इंसान मरा है...!’
- विचार
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- 17 Feb, 2019

एक बार फिर उग्रवाद ने कश्मीर को लपेट लिया। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सीआरपीएफ़ की टुकड़ी पर आत्मघाती हमले ने फिर से साबित कर दिया कि भारत आतंकवादियों के लिए सॉफ़्ट टार्गेट है।