पूरे देश की नज़रें 4 अगस्त को देश के सर्वोच्च न्यायालय पर टिकी रहेंगी। सर्वोच्च न्यायालय को मानहानि के एक असाधारण मामले में बहुत साधारण फ़ैसला करना है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री के उपनाम मोदी की मानहानि के दोषी हैं या नहीं? उनकी सजा बरकरार रखी जाये या नहीं, उनकी सांसदी बहाल की जाए या नहीं? राहुल गांधी के खिलाफ गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राहुल गांधी ने कर्नाटक में दिए एक भाषण में कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है। इसी मामले में गुजरात के एक अधीनस्थ न्यायालय ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई और केंद्र सरकार ने इस सजा के फौरन बाद तत्परता दिखाते हुए राहुल की सांसदी छीन ली, उनका सरकारी बँगला खाली करा लिया।

मोदी सरनेम वाले मानहानि मामले में क्या सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को राहत मिलेगी? जानिए, आख़िर राहुल गांधी का यह मामला क्या है और कितना गंभीर है।
शिकायतकर्ता के अनुसार राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी पर माफी मांगने के बजाय अहंकार दिखाया है और उनका रवैया नाराज़ समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता और कानून की अवमानना को दर्शाता है। उन्होंने अपने किए के लिए माफी नहीं मांगी। राहुल गांधी अपनी सजा के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट गए। वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली तो वे सर्वोच्च न्यायालय आ गए। अब यहां फ़ैसला होना है कि एक सियासी आदमी की सियासी टिप्पणी की क्या इतनी घनघोर सजा हो सकती है?