कोटा जानते हैं न! जगह नहीं, वो जो राशन का कोटा होता है उसकी बात कर रही हूँ। वैसा ही होता है प्यार का कोटा। इस ‘कोटा’ शब्द को सुनकर मुँह नहीं बिचकाइए। आरक्षण और मजबूरी या हक़ की बहस में नहीं जाना है मुझे। यह सीधे-सीधे किसी के हिस्से की बात हो रही है।
प्रिंगल का कोटा
- विचार
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- 9 May, 2020

कोरोना वायरस और इसके बाद लॉकडाउन ने अजीब स्थिति पैदा कर दी है। क्वॉरंटीन करना, अलग रखना क्यों शक की निगाह में घुल-मिल गया है, यह वह कमलनयनी पूछती है। उसे क्या बताएँ कि इंसानी नियम-क़ायदे कितने मारक हैं!
‘किसी’ क्यों कहूँ? मैं प्रिंगल की बात कर रही हूँ। पाँच साल की होने को आई। घर आए भी उसे पौने पाँच साल हो गए। बेटी की साथी तो वह है, लेकिन कब हमारी साथी हो गई, पता नहीं चला। अपरिचय नाम से था, नस्ल से था और इस जीव से भी। मैंने कॉकर स्पैनिएल का नाम भर सुना था, मगर उसमें भी अमेरिकन और इंग्लिश का अंतर नहीं मालूम था। पढ़कर, वीडियो देखकर, बेटी की बातें सुनकर मैंने अपने आपको उसके साथ रहने के लिए तैयार किया। वरना दिमाग़ में घिन से भी अधिक यह बैठा था कि ये सब अमीरों के चोंचले हैं। और आज का दिन यह है कि उसे कोई उसके नाम से न पुकार कर जातिवाचक शब्द का प्रयोग करे तो मन को ठेस लग जाती है।