कोटा जानते हैं न! जगह नहीं, वो जो राशन का कोटा होता है उसकी बात कर रही हूँ। वैसा ही होता है प्यार का कोटा। इस ‘कोटा’ शब्द को सुनकर मुँह नहीं बिचकाइए। आरक्षण और मजबूरी या हक़ की बहस में नहीं जाना है मुझे। यह सीधे-सीधे किसी के हिस्से की बात हो रही है।