दरअसल, राहुल गाँधी भाजपा और आरएसएस को उसकी पिच पर जाकर मात देना चाहते हैं। वे सीधे नहीं बल्कि तिरछी शतरंजी चाल खेल रहे हैं। भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म कभी भी एकाश्म (मोनोलिथ) नहीं रहे हैं। मुसलमानों ने खुद को अलग करने के लिए सिंधु नदी के पार के लोगों को हिंदू कहा। इसीलिए वैदिक और ब्राह्मण धर्म को मानने वाले, शैव, वैष्णव, शाक्त, बौद्ध, जैन, आजीवक, नास्तिक सभी हिंदू कहे जाने लगे। जबकि शैव, वैष्णव, बौद्ध आदि संप्रदायों के परस्पर संघर्ष और संवाद का अपना इतिहास है। इन संप्रदायों की अपनी अलग पहचान रही है। आज भी कमोबेश यह पहचान कायम है।