अपनी दैनिक शाखाओं में सुबह-सवेरे लाठी भांजने और शस्त्र पूजा के नाम पर जंग खाये भाले-तलवारों को पूजने वाले आरएसएस को भी क्या जेन ज़ी के आक्रोश से डर लगने लगा है? कम से कम आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत के दशहरा भाषण से तो यही प्रतिध्वनित होता है। उन्होंने, अपने सालाना भाषण में नेपाल के हालिया ज़ेन जी आंदोलन को अराजक बता कर उसकी निंदा की। अफ़सोस ये कि अपने कुतर्क को सही ठहराने के लिए उन्होंने संविधान के संपादक और वंचितों के अधिकारों के पैरोकार डॉ. भीमराव आंबेडकर की उक्ति का सहारा लिया।