अपनी दैनिक शाखाओं में सुबह-सवेरे लाठी भांजने और शस्त्र पूजा के नाम पर जंग खाये भाले-तलवारों को पूजने वाले आरएसएस को भी क्या जेन ज़ी के आक्रोश से डर लगने लगा है? कम से कम आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत के दशहरा भाषण से तो यही प्रतिध्वनित होता है। उन्होंने, अपने सालाना भाषण में नेपाल के हालिया ज़ेन जी आंदोलन को अराजक बता कर उसकी निंदा की। अफ़सोस ये कि अपने कुतर्क को सही ठहराने के लिए उन्होंने संविधान के संपादक और वंचितों के अधिकारों के पैरोकार डॉ. भीमराव आंबेडकर की उक्ति का सहारा लिया।
लाठी भांजने वाला आरएसएस भी जेन जी से क्यों डर गया?
- विचार
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- 3 Oct, 2025

दशकों से लाठी और अनुशासन की पहचान के साथ खड़ा आरएसएस आखिर जनरेशन जेड से क्यों डर गया? नई पीढ़ी की सोच, टेक्नोलॉजी और सवाल पूछने की आदत संघ के लिए चुनौती बन रही है?
नेपाल में अथवा भारत के लेह-लद्दाख में जिन मुद्दों पर युवा पीढ़ी सड़कों पर उतरी क्या वो अराजकता फैलाने वाली है? क्या नेपो किड्स यानी रोज़गारविहीन देश में सुविधाभोगी नेता संतानों द्वारा काली कमाई पर ऐयाशी के दिखावे का विरोध अराजकता फैलाना है? यदि नेपाल की जेन ज़ी का आंदोलन अराजक ही था तो नेपाली सेना ने बल प्रयोग के बजाय देशहित में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से सत्ता छोड़ने को क्यों कहा? क्यों सेना ने वहाँ आंदोलनकारियों की इच्छानुसार पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री की शपथ लेने के लिए मनाया? क्यों राष्ट्रपति पौदेल ने कार्की की संविधान सम्मत सलाह के अनुरूप संसद को भंग करके उन्हें प्रधानमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई? यदि नेपाल का जेन ज़ी आंदोलन अराजक था तो उनकी माँग मानकर अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने मतदान की आयु घटा कर 16 वर्ष क्यों कर दी? क्यों श्रीमती कार्की ने आंदोलनकारियों की माँग के अनुरूप अगले साल मार्च में आम चुनाव करवाने की घोषणा कर दी? क्या नेपाल का ये घटनाक्रम इस ख़ूबसूरत पहाड़ी राज्य में लोकतंत्र को मज़बूत और आने वाली सरकारों को जनाकांक्षाओं के प्रति समर्पित नहीं बनाएगा?