आपातकाल की 46वीं बरसी के मौके पर कई लोगों ने मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए भारतीय लोकतंत्र के उस त्रासद और शर्मनाक कालखंड को अलग-अलग तरह से याद किया। याद करने वालों में ऐसे तो हैं ही जो आपातकाल के दौरान पूरे समय जेल में रहे थे या भूमिगत रहते हुए आपातकाल और तानाशाही के खिलाफ़ संघर्ष में जुटे हुए थे। आपातकाल को उन लोगों ने भी बढ-चढकर याद किया, जो अपनी गिरफ़्तारी के चंद दिनों बाद ही माफ़ीनामा लिखकर जेल से बाहर आ गए थे, ठीक उसी तरह, जिस तरह विनायक दामोदर सावरकर अंग्रेजों से माफ़ी माँग कर जेल से बाहर आए थे।
आपातकाल: जेपी आंदोलन में नहीं था आरएसएस, स्वयंसेवकों ने माफ़ी माँगी थी!
- विचार
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- 26 Jun, 2021


आपातकाल को उन लोगों ने भी बढ-चढकर याद किया, जो अपनी गिरफ़्तारी के चंद दिनों बाद ही माफ़ीनामा लिखकर जेल से बाहर आ गए थे, ठीक उसी तरह, जिस तरह विनायक दामोदर सावरकर अंग्रेजों से माफ़ी माँग कर जेल से बाहर आए थे।























