फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों के साथ ‘रायसीना डाॅयलाॅग’ में हमारे विदेश मंत्री ने कहा कि भारत किसी ‘एशियाई नाटो’ के पक्ष में नहीं है। वह रुस और चीन के विदेश मंत्रियों के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। उन्होंने अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के चौगुटे को ‘एशियाई नाटो’ की शुरुआत कहा था। अमेरिका के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक सहकार के इस गठबंधन की यदि चीन और रुस यूरोप के सैन्य-गठबंधन से तुलना कर रहे हैं तो यह ज़्यादती ही है लेकिन उनका डर एकदम निराधार भी नहीं है। अमेरिका ने भारत-चीन सीमांत-मुठभेड़ के वक़्त जो भारतपरस्त रवैया अपनाया, उससे चीन का चिढ़ जाना स्वाभाविक है। इधर रुस और चीन की घनिष्ठता भी बढ़ रही है। इसीलिए इन दोनों राष्ट्रों के नेता अपने अमेरिका-विरोध के खातिर भारत पर उंगली उठा रहे हैं।