बांग्लादेश में पाँच अगस्त 2024 को शेख हसीना वाजिद के तख्तापलट के बाद भारत में बांग्ला राष्ट्रवाद को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। भारत के लोगों में यह आम धारणा है कि वहां के राष्ट्रवाद में एक तत्व सेक्यूलर है तो दूसरा धार्मिक और कट्टर। जो सेक्यूलर है वह भारत समर्थक है और जो कट्टर धार्मिक है वह भारत विरोधी। सेक्यूलर राष्ट्रवाद का आधार बांग्ला भाषा है जो पाकिस्तान के विरोध में और भारत की मदद से खड़ा हुआ है। जबकि धार्मिक राष्ट्रवाद का आधार इस्लाम है जो पाकिस्तान के पक्ष में है और वहां की मुस्लिम पहचान से जुड़ा हुआ है। इसीलिए तख्तापलट के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ बताया जा रहा है। अफवाह तो यहां तक है कि बांग्लादेश के राष्ट्रवाद की एक महत्त्वाकांक्षा भारत के पूर्वोत्तर वाले इलाके को मिलाकर वृहत्तर बांग्लादेश बनाने का है।
बांग्ला राष्ट्रवाद की उलझनें: कितनी भाषा कितना धर्म, कितनी सेना कितने जन
- विचार
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- 20 Aug, 2024

हाल में बांग्लादेश में हुए जबर्दस्त विरोध-प्रदर्शन और शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बंगाल के इतिहास के पन्ने पलटे जा रहे हैं। जानिए, आख़िर इतिहास में बांग्ला राष्ट्रवाद किस तरह उभरा और कैसे इसने देश को प्रभावित किया।
इसी के साथ यह देखने को भी मिल रहा है कि जब लोकतंत्र पर राष्ट्रवाद हावी हो जाता है तो वह कितना अल्पसंख्यक विरोधी और हिंसक हो जाता है। वह उनकी मूर्तियां भी गिराने से परहेज नहीं करता जिन्हें कभी राष्ट्रपिता के रूप में प्रतिष्ठा दी गई होती है। बांग्लादेश के ताजा विवाद में एक ओर शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत है तो दूसरी ओर जियाउर्रहमान की विरासत है। चूंकि मुजीबुर्रहमान की विरासत पिछले पंद्रह वर्षों से चल रहे शेख हसीना के अधिनायकवादी शासन से जुड़ गई है इसलिए अब उसे नकारा जा रहा है। इसी के साथ नकारा जा रहा है बांग्लादेश के उदय में भारत का योगदान। कहा जा रहा है कि किसी बच्चे के जन्म में दाई का योगदान होता है लेकिन उसे मां का दर्जा कैसे दिया जा सकता है। बांग्लादेश के तमाम इतिहासकार और राजनीतिशास्त्री यह दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भारत का योगदान निःस्वार्थ नहीं था। भारत का इस लड़ाई में मदद देने का भूराजनीतिक स्वार्थ था और 1971 के बाद इसका परिणाम स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।