सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क़ बकवास करें तो फिर भी समझ में आता है। शकल पर ही लिखा हुआ है कि आदमी कूढ़मगज है। लेकिन मैं कल तालिबान की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कई बेहद आधुनिक और अंग्रेजीदां लिबरलों की पोस्ट देख-देखकर हैरान हूँ कि कैसे वो बार-बार इस बात को कोट कर रहे हैं कि तालिबान ने कहा है कि वह महिलाओं को पढ़ने और नौकरी करने से नहीं रोकेगा। बुर्का कंपलसरी नहीं होगा, सिर्फ़ हिजाब होगा। वगैरह-वगैरह। वेस्टर्न मीडिया भी तालिबान की सॉफ्ट-सॉफ्ट कवरेज कर रहा है। तालिबान अब पहले की तरह नहीं रहा। अब वो औरतों पर अत्याचार नहीं करेगा।
तालिबान के झूठे वादों पर यक़ीन करने वालों ने इतिहास से नहीं सीखा!
- विचार
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- 19 Aug, 2021

तालिबान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन।
तालिबान के झूठे वादों पर यक़ीन कर रहे और सम्मोहक हेडलाइन लगा रहे लिबरल लोगों और मीडिया ने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। सीखा होता तो तालिबान को शक की नज़र से देखते।